कुंडलियाँ-डिजिटल इंडिया
कइसे डिजिटल इंडिया, बूता अपन सिधोय।
रेट नेट के बाढ़गे, टावर घलो पदोय।।
टावर घलो पदोय, फोर जी आगे तभ्भो।
डाटा डाउनलोड, होय टू जी कस अभ्भो।
चलय बैंक बाजार, नेट बिन जइसे तइसे।
अइसन मा अब होय, इंडिया डिजिटल कइसे।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा
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कुंडलियाँ छंद- विश्व गुरू भारत
पढ़ई लिखई के बिना, बीतत हे दिन रोज।
विश्व गुरू भारत हमर,कते मेर हे खोज।
कते मेर हे खोज, मयारू सोन चिरैया।
काम धाम हे बंद, मरत हे भूख कमैया।
ले कोरोना आड़, बढ़त हे डर दुख अढ़ई।
होगे हे दू साल, बंद हे लिखई पढ़ई।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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कुंडलियाँ-डिजिटल इंडिया
कइसे डिजिटल इंडिया, बूता अपन सिधोय।
रेट नेट के बाढ़गे, टावर घलो पदोय।।
टावर घलो पदोय, फोर जी आगे तभ्भो।
डाटा डाउनलोड, होय टू जी कस अभ्भो।
चलय बैंक बाजार, नेट बिन जइसे तइसे।
अइसन मा अब होय, इंडिया डिजिटल कइसे।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा
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