नवा साल
हमर बर नवा का,अउ का जुन्ना रे नवा साल।
सबर दिन रथे, काठा कोठी उन्ना रे नवा साल।1
कोंटा मा परे हे, काली के संसो मा बबा ददा।
मंद पीके नाचत हें, मन्नू मुन्ना रे नवा साल।।2
सियान मन जिनगी बिताइन, मुठा बांध के,
आज चाबत हे मनखे ला, चुन्ना रे नवा साल।।3
नवा जमाना मा होवत हे, नवा नवा उदिम,
संस्कृति संस्कार मा लगगे, घुन्ना नवा साल।।4
होटल ढाबा मरत ले, भीड़ भाड़ दिखत हे,
ठिहा ठौर दिखत हे निचट, सुन्ना रे नवा साल।।5
आज के मनखें काली का करही, का पता?
देखावा मा झूलत हें सब, झुन्ना रे नवा साल।।6
ना नरियर अगरबत्ती, ना खीर ना पूड़ी भाये तोला,
बोकरा खाके नाचत हस, ताता तुन्ना रे नवा साल।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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