[10/14/2023, 5:38 AM] jeetendra verma खैरझिटिया: जीना हावय जिंदगी, मया मीत मन मेल।
दुनिया मा चलते रही, आय जाय के खेल।
[10/14/2023, 5:38 AM] jeetendra verma खैरझिटिया: पिंजरा सुन्ना हो जथे,सुआ उड़ा जब जाय।
माटी के पुतला मनुष, माटी मा सकलाय।
[10/14/2023, 5:57 AM] jeetendra verma खैरझिटिया: दुख के दहरा ले उबर, जाये झट परिवार।
हाथ जोड़ सब झन विनय, करथन बारम्बार।।
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