Thursday, 23 January 2025

जिंदगी

 [10/14/2023, 5:38 AM] jeetendra verma खैरझिटिया: जीना हावय जिंदगी, मया मीत मन मेल।

दुनिया मा चलते रही, आय जाय के खेल।

[10/14/2023, 5:38 AM] jeetendra verma खैरझिटिया: पिंजरा सुन्ना हो जथे,सुआ उड़ा जब जाय।

माटी के पुतला मनुष, माटी मा सकलाय।

[10/14/2023, 5:57 AM] jeetendra verma खैरझिटिया: दुख के दहरा ले उबर, जाये झट परिवार।

हाथ जोड़ सब झन विनय, करथन बारम्बार।।

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