Thursday 6 August 2020

नींद ससन भर आही - गीत(सार छंद)

नींद ससन भर आही - गीत(सार छंद)

बने काम तैं करत रबे ता, नींद ससन भर आही।
संझा बिहना सुख मा कटही, मन मा खुशी हमाही।

तामझाम तकलीफ बाँटथे, जीवन जी ले सादा।
जादा मना खुशी अउ दुख झन, जोर घलो धन जादा।
अपन आप ला बने बनाले, सरी जगत गुण गाही।
बने काम तैं करत रबे ता, नींद ससन भर आही।।

संसो फिकर घलो हा चिटिको, नैन मुँदन नइ देवै।
ऊँच नीच खाना पीना हा, नींद चैन हर लेवै।
अपन काम ला खुदे टारले, तन कसरत हो जाही।
बने काम तैं करत रबे ता, नींद ससन भर आही।।

रोज शबासी लेवत चल गा, झन खा एको गारी।
चलत रहा सत के रद्दा मा, तज के झूठ लबारी।
गरब गुमान घलो झन करबे, नइ ते दुःख झपाही।
बने काम तैं करत रबे ता, नींद ससन भर आही।।

जान अपन कस सबे जीव ला, ले ले सबके आरो।
बेर देख के फल खावत चल, मीठ करू अउ खारो।
बचपन के बेरा लहुटाले, तन मन तोर हिताही।
बने काम तैं करत रबे ता, नींद ससन भर आही।।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)

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