Saturday 1 August 2020

बइरी पइरी(गीत)😥😥

😥बइरी  पइरी(गीत)😥😥

कइसे बजथस रे पइरी बता।
मोर  पिया  के,मोर पिया के,
अब  नइ मिले  पता......।।

पहिली सुन,छुनछुन तोर,
दँउड़त    आय     पिया।
अब   वोला    देखे   बर,
तरसत  हे  हाय   जिया।
ओतकेच   घुँघरू  हे,
ओतकेच के साज हे।
फेर काबर बइरी तोर,
बदले    आवाज   हे।
फरिहर  मोर मया ल,
झन तैं मता..........।।

का करहूँ राख अब,
पाँव    मा    तोला।
धनी मोर नइ दिखे,
संसो   होगे  मोला।
पहिरे पहिरे तोला,
अब पाँव लगे भारी।
पिया के बिन कते,
सिंगार  करे  नारी।
धनी  के   रहत  ले,
तोर मोर हे नता..।।

देख नइ  सकेस,
मोर सुख पइरी।
बँधे बँधे पाँव म,
होगेस तैं बइरी।
पिया  के  मन  ला,
काबर नइ भावस।
मया  के गीत अब,
काबर नइ गावस।
मैं बड़ दुखयारी,
मोला झन सता--।।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)

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