Friday 7 August 2020

नाती के पाती

 नाती के पाती


                                     ठउर-बाल्को,कोरबा

                                     तारिख-05/08/2020

*यहाँ कुशल सब भाँति भलाई*

    *वहाँ कुशल राखे रघुराई*

बबा,

       पायलागी गो।

       आप ल ये बतावत अबड़ उछाह होवत हे, कि तीजा पोरा लट्ठावत हे, घर मा झाँपी झाँपी ठेठरी, खुरमी कलेवा बनही। यहू दरी मैं आप मन बर मँझोलन मोटरा म ठेठरी अउ खुरमी ल कूट के गठिया देहूं, ताहन पहली कस बनेच दिन ले फँकियात रहू। गँइंज दिन होगे बबा, तोला देखे नइ हँव, सपना म घलो दरस नइ देखावस। अउ सपना म आहू घलो कइसे ये नवा जमाना के चकाचौंध म मिही तोर सुरता नइ करँव। हाथ म मोबाइल, घर म टीवी, भरर भरर भागत मोटर गाड़ी कार अउ ज्ञान विज्ञान के नवा चोचला तोला छेंक देथे। अउ बबा आजो घलो यदि लोकाक्षर म चिठ्ठी पाती विषय नइ होतिस त आपला मैं सुरता नइ करतेंव। अउ अब सुरता म चढ़ गे हव तब तुम्हर संग बिताये बेरा रहिरहि के उबाल मारत हे। *तोर पिठँइयाँ के पार, आज के ये अगास अमरत झूला ह घलो नइ पा सके।* तोर बनाये ढँकेल गाड़ी जेमा मैं रेंगे बर सीखेंव, आजो नजरे नजर म झूलत हे। तोर खाँसर गाड़ा के मजा महँगा मोटर कार घलो नइ दे सके। *गोरसी के आँवर भाँवर संगी संगवारी मन संग आगी तापत सुने तोर कहानी कन्थली आजो रटृम रट्टा याद हे। तोर संग घूमे बाजार हाट अउ गांव गँवतरी के सुरता भुलाये नइ भुले। आज मोर हाथ के महँगा मोबाइल भले लाख ज्ञान बाँटे फेर तोर बताये गुण गियान के गोठ के पार नइ पा सके।*

सिरतोन म बबा, वो बेरा के तोर मया के आघू, आज के सरी दुनिया भर के सैर सपाटा अउ सुख सुविधा फिक्का हे। जब तैं डोरी ल लामी लामा लमाके ढेरा आँटस, त पारा भरके लइका बड़ मजा करत चिल्लावत भागन। तोर कोकवानी लउठी के डर घलो रहय, फेर आज न तो दाई ददा के डर हे न कोनो आन के। सुतत उठत जागत बइठत, मिले तोर पबरित मया दुलार आजो अन्तस् म हिलोर मारत हे।

                बने हे बबा, तैं ये धरती ल छोड़ दे हस  काबर कि आजकल के लइका मन तो सियान मनके तीर म ओधत घलो नइ हे। आज उन ला न लइका लोग पुछे, न नाती नतुरा। बपुरा मन जुन्ना जमाना के कोनो छेल्ला जिनावर बरोबर घर के एक कोंटा म फेंकाय, खटिया म पँचत हे। सियान बर आज, न मान गउन हे, न उंखर सेवा सत्कार। सब नवा जमाना के रंग म रंग के अपनेच म मगन अउ मस्त हे, चाहे लइका लोग होय चाहे कोनो बड़का। तैं तो हमला गीत गा गाके, पुचकार पुचकार खेला के बड़े करेस, फेर आज के दुधमुहा लइका मन ल घलो दाई ददा मन सियान कर नइ छोड़त हे। उंखर देखरेख बर नौकरानी संग  स्कूल खुलगे हे। आज सियान मनके न घर में, न घर के बाहर गाँव गुड़ी म पहली कस कोनो पुछारी हे। फेर बबा ये गूगल कतको ज्ञान बाँट लय, मोबाइल ,टीवी कतको मनखे के मन मोह डरय, तोर सिखाये पढ़ाये खेलाये कस लइका नइ बना सकय। आज जुन्ना जमाना के जम्मो जिनिस ल मनखे खोधर खोधर के खोजत हे, फेर जीयत जुन्ना मनखे उपर धियान नइ देवत हे। तहूँ देखत होबे बबा, त आँखी डबडबा जात होही। *जीयत मा, न मया हे, न नाम। अउ मरे के बाद उही भगवान राम।*  आज के जमाना म *"बबा मरे चाहे बँचे सब,,,,,,,,,,, बरा खावत हे।"*

            अउ पायलागी गो

                                        चिट्ठी पठोइया

                                  तोर बड़का नाती- खैरझिटिया

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