कइसन कइसन मनखे हे
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कोनो काटे - कोचके, ककोने कका।
कोन जन ए मनखे मन,कोन ए कका।
का उंहला भारत माता ले,
पिंयार नइ ह?
लगथे वो दाई भारती के उद्धार बर ,
तियार नइ हे।
का भुखमरी ,गरीबी ल,
बाँधेच रिबोन घेंच म।
कोन जन कोन ए,
ए मनखे के भेस म।
बदलेल लगही चलत,
गलत परिपाटी ल।
सिधोएल लगही मिल,
बनखरहा माटी ल।
बढ़ेल लगही,
नवा-नवा सोच लेके।
फेर कतको ठोंनकत हे,
चोक्खी चोंच लेके।
कब पहिचानही,ए माटी सोन ए कका।
कोनो काटे - कोचके, ककोने कका।
कोन जन ए मनखे मन,कोन ए कका।
कोनो करे काम बने,
टी गोड़ ल तिरईय्या हजार हे।
मनखे मनखे ल इंहा तोर मोर के,
धरे अजार हे।
झगरा-लड़ई झंझट ल,
चगलेल लगही।
सोंच ल अपन,
बदलेल लगही।
दुनिया भर में भारत के,
नांव बगरही।
जब हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई,
एक दूसर के हाथ ल धरही।
तंय काम कर नेक।
सब साथ हे देख।
कतको के बोलइ-बखनई,तो टोन ए कका।
कोनो काटे - कोचके, ककोने कका।
कोन जन ए मनखे मन,कोन ए कका।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
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