Saturday, 23 November 2024

कइसन कइसन मनखे हे

 कइसन कइसन मनखे हे

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कोनो काटे - कोचके, ककोने   कका।

कोन जन ए मनखे मन,कोन ए कका।


का उंहला भारत माता ले,

पिंयार नइ ह?

लगथे वो दाई भारती के उद्धार बर ,

तियार नइ हे।

का भुखमरी ,गरीबी ल,

बाँधेच रिबोन घेंच म।

कोन जन कोन ए,

ए मनखे के भेस म।

बदलेल लगही चलत,

गलत परिपाटी ल।

सिधोएल लगही मिल,

बनखरहा माटी ल।

बढ़ेल लगही,

नवा-नवा सोच लेके।

फेर कतको ठोंनकत हे,

चोक्खी चोंच लेके।

कब पहिचानही,ए माटी सोन ए कका।

कोनो काटे - कोचके, ककोने   कका।

कोन जन ए मनखे मन,कोन ए कका।


कोनो करे काम बने,

टी गोड़ ल तिरईय्या हजार हे।

मनखे मनखे ल इंहा तोर मोर के,

धरे अजार हे।

झगरा-लड़ई झंझट ल,

चगलेल लगही।

सोंच  ल अपन,

बदलेल लगही।

दुनिया भर में भारत के,

नांव बगरही।

जब हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई,

एक दूसर के हाथ ल धरही।

तंय काम कर नेक।

सब साथ हे देख।

कतको के बोलइ-बखनई,तो टोन ए कका।

कोनो काटे - कोचके, ककोने   कका।

कोन जन ए मनखे मन,कोन ए कका।

  जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

   बालको(कोरबा)

     9981441795

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