......खेती अपन सेती.......
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किसन्हा के भाग मेटा झन जाय |
बांचे-खोंचे भुँइया बेचा झन जाय ||
भभकत हे चारो मुड़ा ईरसा के आगी,
कुंदरा किसन्हा के लेसा झन जाय |
अँखमुंदा भागे नवा जमाना के गाड़ी,
रेंगइया गरीबहा बपुरा रेता झन जाय |
मूड़ मुड़ागे, ओढ़ना -चेंदरा चिरागे,
फेर सिर पागा गल फेटा झन जाय|
बधेव बधना बिधाता तीर रात-दिन,
कि सावन-भादो भर गोड.के लेटा झन जाय|
भूंजत हे भुंजनिया अऊ बिजरात हे हमला,
अवइया पिड़ही ल खेती बर चेता झन जाय |
हँसिया-तुतारी,नांगर -बइला- गाडी़,
अब इती-उती कहीं फेका झन जाय |
साहेब बाबू बने के बाढ़त हे आस ,
देख के हमला किसानी के पेसा झन जाय|
दंऊड़े हन खेत-खार म खोर्रा पॉंव घाव ले,
कंहू बंभरी कॉटा तंहू ल ठेसा झन जाय |
जा अब सहर नगर म बुता कर,
मोर कस भूख मरे बर खेत कोनो बेटा झन जाय|
जीतेन्द्र वर्मा'खैरझिटिया'
बाल्को( कोरबा)
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