Saturday, 23 November 2024

खेती अपन सेती.......

 ......खेती अपन सेती.......

------------------------------------------------

किसन्हा के भाग मेटा झन जाय |

बांचे-खोंचे भुँइया बेचा झन जाय ||


भभकत हे चारो मुड़ा ईरसा के आगी,

कुंदरा  किसन्हा  के  लेसा  झन जाय |


अँखमुंदा भागे नवा जमाना के गाड़ी,

रेंगइया गरीबहा बपुरा रेता  झन जाय |


मूड़  मुड़ागे, ओढ़ना -चेंदरा चिरागे,

फेर सिर पागा गल फेटा झन जाय|


बधेव बधना बिधाता तीर रात-दिन,

कि सावन-भादो भर गोड.के लेटा झन जाय|


भूंजत हे भुंजनिया अऊ बिजरात हे हमला,

अवइया पिड़ही ल खेती बर चेता झन जाय |


हँसिया-तुतारी,नांगर -बइला-  गाडी़,

अब इती-उती कहीं फेका झन जाय |


साहेब बाबू बने के बाढ़त हे आस ,

देख के हमला किसानी के पेसा झन जाय|


दंऊड़े हन खेत-खार म खोर्रा पॉंव घाव ले,

कंहू बंभरी  कॉटा  तंहू ल ठेसा झन जाय |


जा अब सहर नगर म बुता कर,

मोर कस भूख मरे बर खेत कोनो बेटा झन जाय|


                 जीतेन्द्र वर्मा'खैरझिटिया'

                      बाल्को( कोरबा)

No comments:

Post a Comment