Saturday, 23 November 2024

नोट के माया..........

 ..........नोट के माया.............

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पहिली चक्की-चक्की गुड़ राहय,

बोरी-बोरी सक्कर।

टीपा-टीपा तेल रखे,

कोन लगाय रासन बर चक्कर।


काठा-काठा नून राहय,

बोरा-बोरा आलू,पियाज।

आनी-बानी  के खोइला राहय,

मजा म बीते काली आज।


रंग-रंग के साग,निकले कोलाबारी म।

कभू कुछु कमी नइ होय,घर के हांड़ी म।

भराय राहय पठंऊवा म,

लकड़ी,छेना,पेरा-भूंसा।

गंहु -चना , खरी- बरी,

पुरे सालभर कांदा-कुसा।


खई-खजानी रोटी - पीठा,

रंग-रंग के रोज चूरे।

धनिया,मेथी,मिरचा,मसाला,

बनेच दिन ले पूरे।


बिन चिंता फिकर के गुजारा होय।

खाय कमाय अउ घर बन ल सिधोय।

फेर अब तो ले ले के खवई चलत हे।

चांउर-दार,तेल-नून ल,सकलई खलत हे।


धान,गंहु,चना,सरसो,

कोठी म अब कहाँ धरात हे?

पइसा के चक्कर म,

कोठारे ले बेंचात हे।


कोठी,पठंउवा,मइरका के जघा,

घर-घर तिजोरी बनगे हे।

चांउर,दार,तेल,नून नही,

रुपिया-पइसा मनखे के जोड़ी बनगे हे।


मनखे धरेल धरिस धन,

बढ़ेल लगिस मंहगई।

फेर आज बड़े नोट बेन होगे,

कतको के होगे कल्लई।


खाये के चीज हरे,

त खा अब।

पइसा म दार-चांउर,

बना अब।


जेन मनखे रिहिस पोठ।

जोड़े रिहिस गजब नोट।

तेला आज लगगे,

भारी भरकम चोट।


सिरतोन म छलथे माया।

छोड़े म बड़ रोथे काया।

नोट घलो मोह माया ए,

आज छोड़ दिस देख।

जोड़ना हे त मया जोड़,

कतको ल बोर दिस देख।


नोट बर बेंक हे,

उंहचे धर।

फेर पहिली कस,

मइरका,कोठी ल भर।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बालको(कोरबा)

9981441795

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