Sunday, 24 August 2025

छत्तीसगढ़ी गीत अउ बालीवुड के गायक गायिका*

 *छत्तीसगढ़ी गीत अउ बालीवुड के गायक गायिका*


                छत्तीसगढ़ अपन संस्कृति,संस्कार, बन, नदिया, पहाड़, खनिज, खेल,खेती किसानी, साहित्य,समाज अउ गीत संगीत के दम मा दिनों दिन वैश्विक पटल मा छावत जावत हे। नवा राज बने के बाद सरलग विकास के रद्दा मा रेंगत हे। आखिर भारत के ह्रदय के रूप मा विख्यात मध्यप्रदेश के एक चानी छत्तीसगढ़(ह्रदय के टुकड़ा) कइसे सबके चहेता नइ रही। आज बात  करबों हमर राज के गीत संगीत मा बॉलीवुड के गायक गायिका मनके योगदान के बारे मा। वइसे तो हमर राज मा कतको सुर साज के धनी गायक गायिका हे, जिंखर सुमधुर आवाज सुबे शाम जम्मो छत्तीगढ़िया मनके कान मा मधुरस घोरत रहिथे, तभो कोई गीत ला कोनो नामी गायक गायिका स्वर देथे, ता ओखर का कहना। बॉलीवुड मा बतैर अभिनेता, अभिनेत्री, गीतकार, संगीतकार, नर्तक, निर्देशक, अउ कतको काम मा छत्तीसगढ़ के शक्स मन अपन स्थान बना चुके हे, अउ अभो अपन लोहा मनवावत हे। बॉलीवुड अउ छत्तीसगढ़ के बड़ जुन्ना नता हे, जे आजो सरलग निभत हे। छत्तीसगढ़ के पहली फिल्म कहि देबे संदेश(1965) मा भारत के मशहूर गायक रफी साहब अपन आवाज के जादू बिखेर चुके हे। छत्तीसगढ़ के पहली(कहि देबे सन्देश 1965) के अलावा दूसरा फिलिम(घर द्वार 1971) मा पूरा बॉलीवुड गीत संगीत मा दिखिन। एखर आलावा राज निर्माण के बाद घलो बॉलीवुड के महान हस्ती मन अपन स्वर ले छत्तीसगढ़ी गीत ला अमर करिन।बॉलीवुड के बहुत अकन गायक गायिका मन छत्तीसगढ़ी फिलिम अउ एलबम मा अपन आवाज देहे,आवन कोन कोन बॉलीवुड के गायक गायिका मन का का छत्तीसगढ़ी गीत गायें हें ,उंखर विस्तार ले चर्चा करिन-


1, *मोहम्मद रफी साहब*

रफी साहब ना सिर्फ भारत बल्कि पूरा विश्व मा अपन आवाज के जादू बिखेर चुके हे। उन मन  कतको अकन गीत कतको भाषा मा गायें हें। उंखर मुखारबिंद ले छत्तीसगढ़ी गीत घलो सुने बर मिले हे, जे हम सब छत्तीगढ़िया मन बर गर्व के बात आय। रफी साहब सन 1965 के छत्तीसगढ़ी फिलिम कहि देबे सन्देश अउ सन 1971 के फिलिम घर द्वार मा छत्तीसगढ़ी गीत गा चुके हे, जे आजो मन ला मोह लेथे।

*झमकत नदिया बहिनी लागे,पर्वत मोर मितान* (फिलिम कहि देबे संदेश, ये रफी साहब के पहली छत्तीसगढ़ी गीत रिहिस।)

*तोर पयरी के झनर झनर, जीव ला ले लेइस* (फ़िल्म कहि देबे सन्देश)

*मैना तही मोर मैना,आजा नैना तीर, आजा रे* (फ़िल्म कहि देबे सन्देश)

*गोंदा फुलगे मोर राजा, छाती ला मारे बाण* (फिल्म- घर द्वार)

*सुन सुन मोर मया पीरा के संगवारी रे, आजा जिवरा तीर आजा रे* (फ़िल्म घर द्वार)

ये दुनो शुरूवाती फिलिम मा हरि ठाकुर, हेमन्त नायडू राजदीप जइसन सशक्त गीतकार अउ रफी साहब, मन्ना डे, महेंद्र कपूर, सुमन कल्यानपुर, मीनू पुरषोतम जइसन महान गायक, गायिका मनु नायक, मलय चक्रवती के महिनत, छत्तीसगढ़ी गीत संगीत के दुनिया मा आजो धूम मचावत हे।


2, *सुमन कल्याणपुर जी*

सुमन कल्याणपुर जी रफी साहब के संग कहि देबे सन्देश अउ घर द्वार फिलिम मा मुख्य गायिका रिहिन, उंखर गाये गीत- *झन मारो गुलेल, बाली उमर लरकइयाँ, सुन सुन मोर मया पीरा के संगवारी रे, मोर अँगना के सोन चिरइया नोनी* बेहद मनभावन हे। 

*मोर अँगना के सोन चिरइया वो नोनी, ये गीत ला फिल्मकार मन लता जी ला गवाना चाहत रिहिन, फेर समय अउ बजट के चलते सम्भव नइ हो पाइस, तेखर बाद मुबारक बेगम जी मन तैयार होगिन, पर गीत के एक शब्द "राते अँजोरिया" ला बार बार रिहर्सल के बाद घलो राते अँझुरियाँ केहे के कारण, अंततः सुमन जी ला ये गीत ऑफर होइस।*


3, *लता मंगेशकर दीदी जी*

सुर सम्राज्ञी लता जी  घलो अनेक भाषा मा कतको अकन अमित गीत गाइन, जेखर पार पाना असम्भव हे। साक्षात सुर साज के देवी लता जी के मुख के छत्तीसगढ़ी गीत निकलना छत्तीसगढ़ वासी मन बर वरदान बरोबर हे। सन 2005 मा भकला फिलिम मा लता दीदी मन एक विदाई गीत *(छूट जाही अँगना अटारी)* गाये रिहिन, जे आजो बर बिहाव के बेरा खूब बजथे। लता जी ये गीत के एवज मा घलो कुछु नइ ले रिहिस, गीतकार मदन शर्मा जी के योगदान घलो अविस्मरणीय हे। लता जी मन छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग के एक टाइटल सांग घलो गाइन हे। कहि देबे सन्देश मा विदाई गीत, फिल्मकार मन लता जी ला सन 1965 मा गवाना चाहत रिहिन, पर संयोग ले 2005 मा लता जी मन अंततः भकला फिलिम मा एक दूसर विदाई गीत गाइन।


4, *सोनू निगम जी*

सोनू निगम जी के जतका छत्तीसगढ़ी  गीत सुने बर मिलथे, ओला देखत अइसे लगथे कि, बॉलीवुड गायक गायिका मन मा सोनू निगम जी मन छत्तीसगढ़ी मा सबले ज्यादा गीत गाये हे। उन मन खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय ले संगीत के शिक्षा घलो लेहे।उंखर गाये 20 ले घलो ज्यादा गीत हे, कुछ एलबम अउ कुछ फिलिम मा घलो ले गेहे। सोनू निगम जी के कुछ सुपरहिट छत्तीसगढ़ी गीत-


*तोर नथनी के मोती रे, मारे टूरा मन ला गोंटी रे।*

*तैं आगास के बन जा सुरुज।*

*ना धरती मा हे कोनो, ना कोनो आगासे मा।*

*छुनुर छुनुर पैरी बाजे।*

*गोरा बदन मा लाली चुनरिया, उड़ा देथे मोर निदिया।*

*कारी कजरेरी गोरी, झूम के नाचे रे।*

*तोर नाम ला सुनके करौंदा।*

*टूरी निकले हे सज सँवर के रे, येला लाज नइ लागे।*

*ऐ वो जवैया का नाम।*

*मोर प्रेम प्रसंग मा।*

*दौना के पान ला।*

*ऐ हँसनी, ऐ रागिनी।*

*मोर मैना मंजूर।*

*तैं हलो हलो केहे।*

*मोर सोना चाँदी हीरा रे।*

*जब ले देखेंव दिल मा।*

*तोर पाँव मा काँटा गड़ जाही, गोरी धीरे धीरे रेंग*

*जिनगी के आजा गोरी मजा उड़ाले, नैन लड़ाले*

*खोंच मोंगरा के फूल, तोर बेनी मा झूले झूल*

*मात गेहे बगिया मा फूल रे संगी झुलबो झूलना रे झूल।*

*तोर मया के मारे।* (फिलिम- तोर मया जे मारे, टाइटल सांग)

*मैं होगेंव दीवानी रे।* (फिलिम मया देदे मया लेले)

सोनू निगम जी के ये सब गीत सन 2000 मा आइस, तब छत्तीसगढ़ी संगीत मा एक तूफान आगे रिहिस, सबे कोती इहिच गीत मन सुनाये, ये गीत मनके आजो माँग बरोबर हे।  लोक गायिका पद्म श्री ममता चन्द्राकर जी मन संग सोनू निगम जी मन एलबम अउ फिलिम मा गीत गाये हे।


5,*मोहम्मद अजीज जी*

बॉलीवुड के मशहूर गायक मोहम्मद अजीज जी दूसर नम्बर मा सबले ज्यादा छत्तीसगढ़ी गीत गाये हे। उन मा फिलिम मयारू गंगा(2017), जय जगन्नाथ, मोर धरती मइया के संगे संग एलबम तै मोला जहर देदे, तोला अब्बड़ मया करथों,गाबों अउ गवाबों  मा घलो स्वर दिये हें, कुछ मनभावन गीत प्रस्तुत हे-


*गुइयाँ रे ऐ गुइयाँ, परी कि तैं सोन चिड़िया।* (एलबम गीत)

*तँय मोला जहर देदे।* (दर्द भरे गीत)

*खिलौना समझ के दिल ला तोड़े।* (दर्दीला गीत)

*जिनगी मा आके तैं चल दे रे।*

*चैत कुंवार मा मोर महारानी,महामाया दाई।* (जस गीत)

*मैं आयेंव दुवारी तोर।* (जस गीत)

*तोला जब ले देखे हँव हिरनिया।*

*सुख दुख मा जिनगी बीते।*

*मयारू गंगा।* (फिलिम मयारू गंगा टाइटल सांग)

*कलयुग के नारायण तिहीं जगन्नाथ हो।* (फिलिम- जय जगन्नाथ,2007)

*महाशक्ति सुन मोर विनती, नटखट ये सब तिहीं करे हस।* (फिलिम जय जगन्नाथ)

*महामाया दाई वो मैं*

एखर आलावा अउ कई गीत अजीज साहब मन गाये हे, जे आजो बरोबर मन लगाके पूरा छत्तीसगढ़ मा सुने जाथे।


6, *कुमार सानू जी*

बॉलीवुड के मशहूर गायक कुमार सानू जी मन घलो छत्तीसगढ़ी गीत ला अपन आवाज दे हें, कुछ गीत देखिन-

*मोर मनके मनमोहनी, मोर दिल के तैं जोगनी वो। *

*देखे हँव जबले तोला, मोला प्यार होगे रे।*

*फुलगे मनके फूल, होगे पिरित कुबूल।*

*मन के मन मोहनी, मोर दिल के तैं जोगनी वो।*

*मया करबे का।* (मया करबे का छत्तीसगढ़ी एलबम)

*तै बिलासपुरहिंन अस।*

*तोर संगी मोला बनाले*

*तोला मया होगे न*

*मोला चुम्मा दे दे(मयारू भौजी फिलिम)।*

*बइहा पगला दीवाना गाये गाना।*

*तोर संग जीना तोर संग मरना फिलिम मा घलो कुमार सानू जी मन अपन आवाज दिये हे।*

*खिलगे मन के फूल- प्यार होगे रे*


7, *अलका याग्निक*

*आजा रे निंदिया, चंदा के पलना मा झूला झुलाये* ये छत्तीसगढ़ी लोरी गीत ला अलका जी मन सुमधुर स्वर दे हवे।


8, *साधना सरगम*

*अबड़ तैं गोठियाथस तोर मनके भरम गा, ठुमुक डार के* ये प्रसिद्ध गीत ला साधना जी मन अपन आवाज मा  घलो गाये हे।

*साधना जी मन फिलिम मोर संग चलव रे मा अपन सुमधुर आवाज दिये हे, उंखर गाये गीत कोन इहाँ बाँसुरी बजाथे, बाँसुरी के धुन मा सोये ला जगाथे।* बहुत ही मनभावन हे।

*साधना सरगम जी महान संगीतकार कल्याणसेन जी के निर्देशन मा मयारू भौजी अउ जय महामाया फिलिम मा अपन आवाज देय रिहिस* 

कुछ गीत- *बन रसिया के मारे।*

*ए भौजी मोर मन हा उड़त हे आगास मा।*

*महिमा हे तोर अपार।*

*जा रे पिरोहिल।*

*महामाया सुन ले पुकार।*

*मैया फूल गजरा।*

*सिद्ध हे माई*

*बर तरी खड़े हे बरतिया*


9, *अनुराधा पौडवाल*

अनुराधा जी मन अपन खनकत आवाज मा कतको एलबम *(झर झर नदिया, माँ तारा तारिणी, जान ले पहिचान ले)* मा गीत गाइन। फिलिम मोर संग चलव रे मा घलो अनुराधा जी मन अपन आवाज के जादू बिखेरे हें। कुछ गीत के मुखड़ा प्रस्तुत हे-


*छम छमाछम पैरी बाजे आयेंव सजन के द्वार।*

*झर झर नदिया के पानी, नीम अउ पीपर के छाँव, मोर सजना के गाँव।*

*जरा हलू हलू मया मा पास आना।*

*तारे नारे तारे नाना, तोर मोर एके गाना,संगे जीना संगे मरना*

*जिनगी के दुख हरौ माँ।* (जस गीत)

*लेजा लेजा पतिया लेजा, मया के चिठिया ले जा।*

*कोन रे इहाँ बंसुरी बजात हे/दिल दीवाना गावय गाना* (फिल्म-मोर संग चलव)

*नीम अउ पीपल के छाँव, मोर सजना के गांव*


10, *नितिन मुकेश जी*

तोला अब्बड़ मया करथों एलबम मा अजीज जी के संग नितिन मुकेश जी मन घलो अपन आवाज के जादू बिखेरे हे।  लक्षमण मस्तूरिहा जी के गीत- *तोला अब्बड़ मया करथों रे, तोला अब्बड़ मया करथों* येला नितिन मुकेश जी गाये हे। नितिन मुकेश जी मन छत्तीसगढ़ी भक्ति एलबम  *शबरी के राम* मा अपन आवाज दिन। गीत के बोल *शबरी वो दाई चीख चीख जूठा बोइर ला खवाये सिया राम ला।*

*मस्तूरिहा जी के गीत -तोला अबड़ मया करथों रे, यहू गीत ल नितिन जी मन गाये हे*


11, *सुरेश वाडेकर*

मस्तूरिहा जी के प्रसिद्ध गीत *मोर संग चलव जी* ला वाडेकर जी मन अपन आवाज मा घलो स्वर दिये हे। एखर आलावा छत्तीसगढ़ी फिल्म बनिहार मा *कइसे आवँव तोर दुवारी* गीत ला स्वर दिन। मोर संग चलव फिल्म मा साधना सरगम, सुरेश वाडेकर, अभिजीत, अनुराधा पौडवाल मन लक्ष्मण मस्तूरिहा के लिखे गीत मन ला अल्का चन्द्राकर, मस्तूरिहा अउ दिलीप षडंगी मन संग मिलजुल के गायें हें।


12, *शान जी*

*सजनी हा दिल चुराये हे, मया के गीत सुनाये हे, दिलबर जानी* अइसन मनभावन गीत ला शान जी मन अपन आवाज देके अउ मनमोहक बना दिये हे।


13, *उदित नारायण जी*

बॉलीवुड के मश्हूर सिंगर उदित जी घलो छत्तीसगढ़ी गीत अउ ददरिया ला अपन आवाज  मा गाके अउ मनमोहक कर दे हे।


*बटकी मा बासी अउ चुटकी नून*

*बागे बगीचा दिखेल हरियर*

*चना के दार राजा।*

*लाली चुनरिया तोर लचके कमरिया तोर।*


14, *शंकर महादेवन जी*

स्वच्छता बर शंकर महादेवन जी एक गीत गाये हे,*स्वच्छ बने छत्तीसगढ़, छत्तीगढ़िया सबले बढ़िया*


15, *विनोद राठौर जी*

विनोद राठौर जी के गाये गीत *ऐ हंसनी, ऐ रागनी, तोला सपनावँव* बहुतेच जादा प्रसिद्ध होइस, आजो सुने मा मन बड़ भावन लगथे। एखर आलावा कल्याण जी के निर्देशन मा मयारू भौजी फिलिम मा *तँय बिलासपुरहिन अउ मैं रायगढ़िया(गीतकार- रामेश्वर वैष्णव), अउ खनके जब चूरी जइसे मनभावन गीत गाये हे।


16, *अभिजीत जी*

सुपरहिट छत्तीसगढ़ी फिलिम *मोर संग चलव रे* मा अभिजीत जी ला सुने जा सकथे।

*दिल दीवाना गावय गाना*(फिल्म- मोर संग चलव रे)


17, *महेंद्र कपूर जी*

महेंद्र कपूर साहब मन घलो छत्तीसगढ़ी मा बड़ अकन मनभावन गीत गाये हें। कपूर साहब मन *कहि देबे सन्देश के आलावा मोर धरती मइया फिलिम मा अपन आवाज के जादू बिखेरे हे।* उंखर कुछ गीत के मुखड़ा-


*ऐ वो नखरा वाली, जान देना वो।* (फिलिम- मोर धरती मइया)

*होरे होरे होरे होरे, कोयली कुहके आमा के डार।* (कहि देबे सन्देश)

*संगी हाथ लमाबो, संगी हाथ बढ़ाबो।* (गीतकार- दुर्गाप्रसाद पारकर, फिल्म- मोर धरती मइया )

*दुर्गा भवानी जग कल्याणी*

             *बालीवुड के अउ कतको सिंगर  मन ला मोर धरती मइया फिलिम मा कोरस करत सुने जा सकथे जेमा- *हेमलता, एस ए कादर, चंदारानी,सतीश,अउ दीपमाला जी मन के नाम प्रमुख हे।*


18, *मन्ना डे साहब*

मशहूर गायक मन्ना डे साहब मन छत्तीसगढ़ के पहली फिलिम कहि देबे सन्देश के टाइटल साँग *(कहि देबे सन्देश, दुनिया हा आघू बढ़गे।)* के आलावा रफी जी ला उही फिलिम मा कोरस मा साथ दे रिहिन।


19, *मीनू पुषोत्तम*

*मीनू पुरषोत्तम जी सुमन कल्याणपुरी जी कस कुछ गीत ला कहि देबे सन्देश फिलिम मा अपन आवाज देय हे।*

*बिहनिया के उगत सुरुज देवता।* (कहि देबे सन्देश)

*सुवा गीत- तरी हरी* (कहि देबे सन्देश)

*होरे होरे होरे, कोयली कुहके।* (कहि देबे सन्देश)


20, *कविता कृष्णमूर्ति जी*

 मोर धरती मइया फिलिम मा कविता जी मन मुख्य प्लेबैक गायिका रिहिन हे। उंखर कुछ गीत प्रस्तुत हे-

*मोर बगिया मा तैं गोंदा असन, ममहावत रबे।*

*ये कजुवा के मन डोले, मादर थाप मा।*

*ए गा बैला गाड़ी वाला, लॉन देना*

*ए मइया वो, तोर तीर आएंव तार लेबे हो।*

*तोर संग जीना तोर संग मरना फिलिम मा घलो कविता जी मन अपन स्वर दिये हें।*

*खिलगे मन के फूल*- कुमार शानू के संग


21, *बाबुल सुप्रियो*- 

*ए हंसिनी, ए रागिनी, तुही ला मैं गाओं,तोला सपनाओं*

*कुछु कुछु होय गोरी मोला,जोन दिन ले देखेंव गोरी तोला-फिल्म गीत*


22, *कैलाश खेर*- फिल्म भूलन काँदा के टाइटल गीत- भूले से जो खुंद गया


अउ कतको अकन बॉलीवुड के मशहूर गायक गायिका मनके सुर साज मा सजे छत्तीसगढ़ी गीत जे समय बनिस वो समय अउ आजो कर्णप्रिय हे, मनभावन हे। छत्तीसगढ़ के गीत संगीत बॉलीवुड के गायक गायिका मन ला खासा प्रभावित करिस, तभे तो उंखर लगाव,झुकाव अतिक अकन दिखिस अउ आघू घलो दिखही। छत्तीसगढ़ी गीत संगीत मा बॉलीवुड के गायक गायिका मनके योगदान ला कभू नइ भुलाये जा सके। लगभग बनेच अकन बॉलीवुड के गायक गायिका मन छत्तीसगढ़ी गीत ला अपन आवाज दिन,फेर छत्तीगढ़िया मन के रग मा छत्तीसगढ़ के लोकल गायक गायिका मनके गीत जादा रचे बसे दिखथे। केदार यादव जी, साधना यादव जी, लक्षमण मस्तूरिहा जी, भैया लाल हेड़ाऊ जी, कविता वासनिक जी, अनुराग ठाकुर जी, पंचराम मिर्झा जी,धुर्वा राम मरकाम जी, लता खापर्डे जी, राकेश तिवारी जी,मेहतर राम साहू जी,सुनील सोनी जी, ममता साहू जी, कुलवंतीन बाई जी, रेखा बाई देवार जी, पद्मश्री तीजन बाई जी, चम्पा निषाद जी,ममता चन्द्राकर जी, गंगाराम शिवारे जी, अलका चन्द्राकर जी, छाया चन्द्राकर जी,  झाड़ूराम देवांगन जी,ऋतु वर्मा जी,बैतल राम साहू जी, महादेव हिरवानी जी, दीपक चन्द्राकर जी,गोरे लाल बर्मन, दिलीप सडंगी जी, दुकालू यादव जी, कुलेश्वर ताम्रकर, भूपेंद्र साहू,देवदास बंजारे, लक्ष्मीनारायण पांडे, नीलकमल वैष्णव,पूनम तिवारी,पंडित विवेक शर्मा, कंचन जोशी, डिमान सेन, सीमा कौशिक, अनुपमा मिश्रा, अनुराग शर्मा, नवलदास मानिकपुरी जी जइसे अनेको लोक गायक मनके स्वर, छत्तीसगढ़ के माटी के महक ला छत्तीगढ़िया मनके अन्तस् मा बगरावत दिखथे। छत्तीसगढ़ के कतको नवा जुन्ना गायक मन बॉलीवुड के गीत तको गा चुके हे। तभे तो कथे छत्तीगढ़िया सबले बढ़िया।


जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

गीत-राखी*

 *गीत-राखी*


बाँध मोर कलाई मा,राखी वो बहिनी।

तोर मोर मया के, साखी वो बहिनी।


सावन महीना भर नैना बाट तकथे।

पुन्नी हबरथे मोर किस्मत चमकथे।

रेशम के डोरी, मोर पाँखी वो बहिनी।

बाँध मोर कलाई मा राखी बहिनी---।


दाई के आशीष हे, ददा के दुलार हे।

सावन पुन्नी,भाई बहिनी के तिहार हे।

सदा शुभ रही हमर,राशि वो बहिनी।

बाँध मोर कलाई मा, राखी बहिनी--।


लामे रही जिनगी भर मया के डोरी।

बाधा बिघन के,  जरा देहूँ होरी।

देखाही कोन तोला,आँखी वो बहिनी।

बाँध मोर कलाई मा, राखी बहिनी---।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)


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गीत


न रेशम न धागा न डोर भैया।

ये राखी मया हरे मोर भैया।।


तोर मोर नत्ता के, इही डोरी साखी।

दुख दरद ले बचाही, तोला मोर राखी।

लाही जिनगी मा सुख के हिलोर भैया।

ये राखी मया हरे मोर भैया----------


देखे बर तोला तरसत रहिथे नैना।

उड़थे सावन भर मोर मन मैना।।

लेवत रहिबे सुख दुख के शोर भैया।

ये राखी मया हरे मोर भैया---------


सुरता के संदूक ला मिल दूनो खोलबों।

मया अउ पीरा के दू बोली बोलबों।

बसे रही अन्तस् मा घर खोर भैया।

ये राखी मया हरे मोर भैया---------


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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,,,,भैया मोर राखी(गीत),,,,


नोहे रेशम,न धागा,न डोर भैया।

ये  राखी   मया  हरे  मोर  भैया।


पंछी कस बनही,भैया  ये तोर पाँखी।

सबो दुख ले बँचाही,मोर बांधे राखी।

लाही जिनगी म,खुशी के हिलोर भैया।

ये राखी मया हरे मोर भैया-----------|


सुरुज कस चमकही,तोर माथा के कुमकुम।

सुख रहै जिनगी भर,पाँव ला चुम चुम।

लेवत रहिबे सबर दिन,मोर सोर भैया।

ये राखी मया हरे मोर भैया-----------।


दाई  अउ  ददा के,तँय नाम जगाबे।

मोरो डेहरी म नित,आबे अउ जाबे।

लाहू लोटा म पानी,मया घोर भैया।

ये राखी मया हरे मोर भैया-------।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा)

9981441795

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परेवना राखी देके आ

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परेवना कइसे जावौं रे,

भइया तीर तँय बता?

गोला-बारूद चलत हे मेड़ो म,

तँय राखी देके आ.............|


दाई-ददा के छँइहा म रहँव त,

बइठाके भइया ल मँझोत में।

बाँधौं राखी कुंकुंम लगाके,

घींव के दीया  के  जोत   में।

मोर   लगगे    बिहाव   अउ,

होगे भइया देस  के।

कइसे दिखथे मोर भइया ह,

आबे  रे   परेवना   देख  के।

सुख के सुघ्घर समाचार कहिबे,

जा भइया के संदेसा ला........|


सावन पुन्नी आगे जोहत होही,

मोर राखी के बाट रे।

धकर-लकर उड़ जा रे परेवना,

फइलाके दूनो पाँख रे।

चमचम-चमचम चमकत राखी,

भइया ल बड़ भाही रे।

नाँव जगा के ,दाई-ददा के,

बहिनी ल दरस देखाही रे।

जुड़ाही आँखी,ले जा रे राखी,

भइया  के  पता...............|


देखही तोला भइया ह परेवना,

बहिनी  के   सुरता  करही  रे।

जे हाथ म भइया के राखी बँधाही,

ते हाथ देस बर लड़ही रे।

थर-थर कापही बइरी मन ह,

गोली के बऊछार ले,

रक्षा करही राखी मोर भइया के,

बइरी अउ जर-बोखार ले।

जनम-जनम ले अम्मर रही रे,

भाई-बहिनी के नता...........।


            जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

                 बालको(कोरबा)

                  998144175

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....@@राखी@@...(गीत)


बॉध मोर कलाई म,

राखी वो बहिनी..........|

हे तोर मोर मया के,

ये साखी वो बहिनी......|


ददा के आसीस हे,

दाई के दुलार हे  |

सावन पुन्नी,

भाई-बहिनी के तिहार हे |

बने रेसम के डोरी,

मोर जिनगी के पॉखी वो बहिनी...|

बॉध मोर................................|


रिमझिम सावन म,

मन मोर नाचे  |

बहिनी के मया ले,

गुथाही मोर हाथे  |

बिनती करव भगवान ले,

शुभ रहे तोर रासि वो बहिनी....|

बॉध मोर.............................|


तोर मया के डोरी,

मोर साथ रहे जिनगी भर |

तोर सुख-दुख म लामत,

मोर हाथ रहे जिनगी भर |

किरिया रॉखी हे,

कोन देखाही तोला ऑखी वो बहिनी..|

बॉध मोर ....................................|

                                 जीतेन्द्र वर्मा

                               बाल्को(कोरबा)


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राखी-बरवै छंद


राखी धरके आहूँ, तोरे द्वार।

भैया मोला देबे, मया दुलार।।


जब रेशम के डोरी, बँधही हाथ।

सुख समृद्धि आही अउ, उँचही माथ।


राखी रक्षा करही, बन आधार।

करौं सदा भगवन ले, इही पुकार।


झन छूटे एको दिन, बँधे गठान।

दया मया बरसाबे, देबे मान।।


हाँस हाँस के करबे, गुरतुर गोठ।

नता बहिन भाई के, होही पोठ।।


धन दौलत नइ माँगौं, ना कुछु दान।

बोलत रहिबे भैया, मीठ जुबान।।


राखी तीजा पोरा, के सुन शोर।

आँखी आघू झुलथे, मइके मोर।।


सरग बरोबर लगथे, सुख के छाँव।

जनम भूमि ला झन मैं, कभू भुलाँव।।


लइकापन के सुरता, आथे रोज।

रखे हवँव घर गाँव ल, मन मा बोज।।


कोठा कोला कुरिया, अँगना द्वार।

जुड़े हवै घर बन सँग, मोर पियार।।


पले बढ़े हँव ते सब, नइ बिसराय।

देखे बर रहिरहि के, जिया ललाय।


मोरो अँगना आबे, भैया मोर।

जनम जनम झन टूटे, लामे डोर।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)


रक्षाबन्धन की ढेरों बधाइयाँ💐💐

कुआँ के मेचका- हरिगीतिका छंद

 कुआँ के मेचका- हरिगीतिका छंद


निकलिस कुँआ ले मेचका, ताना सुनिस जब लोग के।

सोचिस जमाना संग चलहूँ, सुक्ख सुविधा भोग के।।

जग देखहूँ बिरवा तरी, बइठे कुआँ के पार मा।

आइस कटइया पेड़ के, भागिस बचा जी खार मा।।


माते दिखिस मारिक पिटा, बीता अकन भूभाग बर।

थक हार के भागिस लुका, होही बने बन बाग हर।।

बन बाग मा तक चैन नइ, पाइस चिटिक कन मेचका।

होही बने कहि गांव कोती, गीस तज बन मेचका।।


घर गांव के जब हाल देखिस, चाल देखिस लोग के।

गे अकचका जर हर धरे, सब ला शहरिया रोग के।।

सबले बने होही शहर, कहिके शहर के धर डहर।

कूदत चलिस हे मेचका, धूलउ धुँआ लागे जहर।।


आगी लगत गाड़ी रिहिस , ले दे बचाइस जान ला।

आगिस शहर किसनो करत, देखिस शहर के शान ला।

बड़ अटपटा लागिस छटा, घर ऊँच अउ सब नीच हे।

बस्सात नाली हा शहर अउ, घर डहर के बीच हे।।


दरुहा पड़े नाली तरी, गरुवा कुकुर चांटत हवै।

मनखें खुदे अपने नरी बर, डोर मिल आंटत हवै।

देखिस लड़त अपने अपन, मनखें शहर अउ गांव के।

सोचिस खुशी सुख बाहरी, सब हा हवै बस नांव के।।


ये बाहरी दुनिया सुवारथ, मा सने जंजाल हे।

हे सुख कुँआ मा फेर ये, बाहिर जगत हा काल हे।।

बाहिर निकल के कूप ले, पछतात हावै मेचका।

अउ फेर कुँआ मा रहे बर, आत हावै मेचका।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

कुकुभ छंद-पोरा जाँता

 पोरा तिहार के गाड़ा गाड़ा बधाई


कुकुभ छंद-पोरा जाँता


सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।

राँध ठेठरी खुरमी भजिया,करे हवै सबझन जोरा।


भादो मास अमावस के दिन,पोरा के परब ह आवै।

बेटी माई मन हर ये दिन,अपन ददा घर सकलावै।

हरियर धनहा डोली नाचै,खेती खार निंदागे हे।

होगे हवै सजोर धान हा,जिया उमंग समागे हे।

हरियर हरियर दिखत हवै बस,धरती दाई के कोरा।

सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।1


मोर होय पूजा नइ कहिके,नंदी बइला हर रोवै।

भोला जब वरदान ल देवै,नंदी के पूजा होवै।

तब ले नंदी बइला मनके, पूजा होवै पोरा में।

सजा धजा के भोग चढ़ावै,रोटी पीठा जोरा में।

पूजा पाठ करे मिल सबझन,सुख पाये झोरा झोरा।

सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।2


कथे इही दिन द्वापर युग में,पोलासुर उधम मचाये।

मनखे तनखे बइला भँइसा,सबझन ला बड़ तड़पाये।

किसन कन्हैया हर तब आके,पोलासुर दानव मारे।

गोकुलवासी खुशी मनावै,जय जय सब नाम पुकारे।

पूजा ले पोरा बइला के,भर जावय उना कटोरा।

सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।3


दूध भराये धान म ये दिन,खेत म नइ कोनो जावै।

परब किसानी के पोरा ये,सबके मनला बड़ भावै।

बइला मनके दँउड़ करावै,सजा धजा के बड़ भारी।

पोरा परब तिहार मनावय,नाचयँ गावयँ नर नारी।

खेले खेल कबड्डी खोखो,नारी मन भीर कसोरा।

सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।4


बाबू मन बइला ले सीखे,महिनत अउ काम किसानी

नोनी मन पोरा जाँता ले,होवय हाँड़ी के रानी।

पूजा पाठ करे बइला के,राखै पोरा में रोटी।

भरे अन्न धन सबके घर में,नइ होवै किस्मत खोटी।

परिया में मिल पोरा पटके,अउ पीटे बड़ ढिंढोरा।

सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।5


सुख समृद्धि धन धान्य के,मिल सबे मनौती माँगे।

दुःख द्वेष ला दफनावै अउ,मया मीत ला उँच टाँगे।

धरती दाई संग जुड़े के,पोरा देवय संदेशा।

महिनत के फल खच्चित मिलथे,कभू रहै नइ अंदेशा।

लइका लोग सियान सबे झन,पोरा के करै अगोरा।

सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।6


छंदकार-जीतेन्द्र कुमार वर्मा"खैरझिटिया"

पता-बाल्को,कोरबा(छत्तीसगढ़)


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पोरा(ताटंक छंद)


बने हवै माटी के बइला,माटी के पोरा जाँता।

जुड़े हवै माटी के सँग मा,सब मनखे मनके नाँता।


बने ठेठरी खुरमी भजिया,बरा फरा अउ सोंहारी।

नदिया बइला पोरा पूजै, सजा आरती के थारी।


दूध धान मा भरे इही दिन,कोई ना जावै डोली।

पूजा पाठ करै मिल मनखे,महकै घर अँगना खोली।


कथे इही दिन द्वापर युग मा,कान्हा पोलासुर मारे।

धूम मचे पोला के तब ले,मनमोहन सबला तारे।


भादो मास अमावस पोरा,गाँव शहर मिलके मानै।

हूम धूप के धुँवा उड़ावै,बेटी माई ला लानै।


चंदन हरदी तेल मिलाके,घर भर मा हाँथा देवै।

धरती दाई अउ गोधन के,आरो सब मिलके लेवै।


पोरा पटके परिया मा सब,खो खो अउ खुडुवा खेलै।

संगी साथी सबो जुरै अउ,दया मया मिलके मेलै।


बइला दौड़ घलो बड़ होवै,गाँव शहर मेला लागै।

पोरा रोटी सबघर पहुँचै,भाग किसानी के जागै।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)


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आज पोरा हे

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चूरे   हे   ठेठरी-खुरमी,

चूरे   हे   बरा-भजिया।

टिपटिप ले भरे हे तरिया,

छापा  चलत हे नदिया।

नाचत हे,डोली म धान।

होवत हे,खेती के  मान।

बेटी माई घर अमराय बर,

रोटी-पिठा म ,भरे  झोरा हे।

आज पोरा हे,आज पोरा हे।


माड़े  हे माटी के बइला,

माटी के पोरा -  जांता।

अधियागे      किसानी,

जंउहर  जुड़े  हे नाता।

बाजत    हे       घण्टी,

नाचत     हे      बइला।

झन पूछ लइका मनके,

खेलई  -  कूदई    ला।

घरो - घर बेटी के अगोरा हे।

आज पोरा हे,आज पोरा हे।


कहूँ  मेर   फुगड़ी माते हे,

त  कहूँ  मेर   खो-कबड्डी।

कतको अतलंगहा टुरामन,

बइठे  हे   धरे  तास  गड्डी।

रोटी - पिठा ले फुले हे पेट।

नई गेहे  आज  कोनो खेत।

किसानी   के   तिहार पोरा,

जुड़ धरती दाई के कोरा हे।

आज पोरा हे,आज पोरा हे।

    जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

        बालको(कोरबा)

         9981441795

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बनगे हवै कबीर- सरसी छंद

 बनगे हवै कबीर- सरसी छंद


कलम धरे नइ आय तहू हा, बनगे हवै कबीर।

घात लगाये कस रहिरहि के,टीपे धरम ल तीर।।


मइल हवै जे अंतस भीतर, ते तन नइ ममहाय।

जस देखे तस दिखथे दुनिया, अँधरौटी जब छाय।।

धरम सिखाथे गूढ़ जिये के, छीच सुमत सत नीर।

कलम धरे नइ आय तहू हा, बनगे हवै कबीर।।


पंथ राज दल बल समाज के, सब पहिरें हें ताज।

अपन अपन गुरु इष्ट देव ला, पूजैं सरी समाज।।

जनम मरन ला जान सके नइ, ज्ञानी गुणी अमीर।

कलम धरे नइ आय तहू हा, बनगे हवै कबीर।।


येला वोला गरियाये मा, करियाये अउ भाग।

ये जग ला बस जोड़े रखथे, मीठ बोल अनुराग।।

माँस मंद  बिन मन नइ माड़े, भाय दूध ना खीर।

कलम धरे नइ आय तहू हा, बनगे हवै कबीर।।


मानवता मनखें मा राहय, जाने जिनगी मोल।

होय करम बढ़िया नित जग मा, कहै शास्त्र मुँह खोल।।

ज्ञान नयन ए धरम जिया ए, करम बनाथे वीर।

कलम धरे नइ आय तहू हा, बनगे हवै कबीर।।


कबिरा के कथनी करनी मा, रिहिस चिटिक ना भेद।

फेर आज करिया तन उप्पर, हावै बसन सफेद।।

एक आँख मा दिखे कोइला, एक आँख मा हीर।

कलम धरे नइ आय तहू हा, बनगे हवै कबीर।।


कुकरा आज कबीर बने हे, सुबे शाम दै बांग।

देखावा मा बुड़े रहै नित, पीके गांजा भांग।।

गुण गियान के दरस परख ना, ना अंतस मा पीर।

कलम धरे नइ आय तहू हा, बनगे हवै कबीर।।


धरम बुरा नइ होय कभू भी, करम लगाथे दाग।

घर बन उँखरो जलबे करथे, जेन लगाथे आग।।

जिया झाँकना चाही खुद के, भेदभाव पट चीर।

कलम धरे नइ आय तहू हा, बनगे हवै कबीर।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

Thursday, 14 August 2025

अमृतध्वनि छंद

 अमृतध्वनि छंद 


महतारी मन आज तो, रहिथे सुघर उपास।

बेटा बेटी खुश रहय, माँगय वर जी खास।

माँगय वर जी,खास सबो के,उम्मर बाढ़य।

पोती मारय,मुड़ मा विपदा, झन तो माढ़य।

एक ठउर मा,अउ जुरियाके,जम्मो नारी।

महादेव के,पूजा करथे,सब महतारी।।


घर के बाहिर कोड़ के, सगरी ला दय साज।

गिन गिन पानी डार के, करथे पूजा आज।

करथे पूजा,आज नेंग जी,करथे भारी।

लइका मन के,रक्षा बर तो,हे तैयारी।

हूम धूप अउ,फूल पान ला,सुग्घर धरके।

सुमिरन करथे, महतारी मन,जम्मो घरके।।


पतरी महुआ पान के, भाजी के छै जात।

चुरथे घर-घर मा इहाँ, पसहर के अउ भात।

पसहर के अउ,भात संग मा,दूध दही ला।

महतारी मन,खाय थोरकिन,डार मही ला।

गहूँ चना अउ,महुआ के सन,लाई-लुतरी।

सुघर चघावै,नरियर काँशी,दोना पतरी।।


विजेन्द्र वर्मा

नगरगाँव(धरसीवाँ)

Wednesday, 13 August 2025

घनाक्षरी(भोला बिहाव)-खैरझिटिया

 घनाक्षरी(भोला बिहाव)-खैरझिटिया


अँधियारी रात मा जी,दीया धर हाथ मा जी,

भूत  प्रेत  साथ  मा  जी ,निकले  बरात  हे।

बइला  सवारी  करे,डमरू  त्रिशूल धरे,

जटा जूट चंदा गंगा,सबला  लुभात हे।

बघवा के छाला हवे,साँप गल माला हवे,

भभूत  लगाये  हवे , डमरू  बजात  हे।

ब्रम्हा बिष्णु आघु चले,देव धामी साधु चले,

भूत  प्रेत  पाछु  खड़े,अबड़ चिल्लात  हे।


भूत प्रेत झूपत हे,कुकूर ह भूँकत हे,

भोला के बराती मा जी,सरी जग साथ हे।

मूड़े मूड़ कतको के,कतको के गोड़े गोड़,

कतको के आँखी जादा,कोनो बिन हाथ हे।

कोनो हा घोंडैया मारे,कोनो उड़े मनमाड़े,

जोगनी परेतिन के ,भोले बाबा नाथ हे।

देव सब सजे भारी,होवै घेरी बेरी चारी,

अस्त्र शस्त्र धर चले,मुकुट जी माथ हे।


काड़ी कस कोनो दिखे,डाँड़ी कस कोनो दिखे,

पेट कखरो हे भारी,एको ना सुहात हे।

कोनो जरे कोनो बरे,हाँसी ठट्ठा खूब करे,

नाचत कूदत सबो,भोले सँग जात हे।

घुघवा हा गावत हे, खुसरा उड़ावत हे,

रक्शा बरत हावय,दिन हे कि रात हे।

हे मरी मसान सब,भोला के मितान सब,

देव मन खड़े देख,अबड़ मुस्कात हे।


गाँव मा गोहार परे,बजनिया सुर धरे,

लइका सियान सबो,देखे बर आय जी।

बिना हाथ वाले बड़,पीटे गा दमऊ धर,

बिना गला वाले देख,गीत ला सुनाय जी।

देवता लुभाये मन,झूमे देख सबो झन,

भूत प्रेत सँग देख,जिया घबराय जी।

आहा का बराती जुरे,देख के जिया हा घुरे,

रानी राजा तीर जाके,देख दुख मनाय जी।


फूल कस नोनी बर,काँटा जोड़ी पोनी बर,

रानी कहे राजा ला जी,तोड़ दौ बिहाव ला।

करेजा के चानी बेटी,मोर देख रानी बेटी,

कइसे जिही जिनगी,धर तन घाव ला।

पारबती आये तीर,माता ल धराये धीर,

सबो जग के स्वामी वो,तज मन भाव ला।

बइला सवारी करे,भोला त्रिपुरारी हरे,

माँगे हौ विधाता ले मैं,पूज इही नाव ला।


बेटी गोठ सुने रानी,मने मन गुने रानी,

तीनो लोक के स्वामी हा,मोर घर आय हे।

भाग सँहिरावै बड़,गुन गान गावै बड़,

हाँस मुस्काय सुघ्घर,बिहाव रचाय हे।

राजा घर माँदीं खाये,बराती सबो अघाये,

अचहर पचहर ,गाँव भर लाय हे।

भाँवर टिकावन मा,बार तिथि पावन मा,

पारबती हा भोला के,मया मा बँधाय हे।


जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

बालको, कोरबा

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भोले बाबा-सार छंद


डोल डोल के डारा पाना, भोला के गुण गाथें।

शिव भोला के पबरित महिना, सावन जब जब आथें ।


सावन महिना भर भगतन मन, नहा खोर बिहना ले।

शिव मंदिर मा पान फूल धर, दिखथें डेरा डाले।।

चाँउर धतुरा चना दार सँग, नरियर दुबी चढ़ाथें।

शिव भोला के पबरित महिना, सावन जब जब आथें ।


बम बम बोलत सबे चढ़ायें, लोटा लोटा पानी।

मन के भाव भजन ला देखत, फल देवय शिव दानी।।

काँवरिया मन काँवर बोहे, बम बम रटन लगाथें।

शिव भोला के पबरित महिना, सावन जब जब आथें।


चारों मूड़ा भक्ति भाव के ,बोहत रहिथे धारा।

शिव भोला के जयकारा मा, गुँजे गाँव घर पारा।।

रहि उपास लइका सियान सब, भोला के हो जाथें।

शिव भोला के पबरित महिना, सावन जब जब आथें ।


खैरझिटिया

Friday, 1 August 2025

मनभावन कोरबा-रूपमाला छंद

 मनभावन कोरबा-रूपमाला छंद


कोइला हा कोरबा के आय करिया सोन।

नीर हा हसदेव के जिनगी हरे सिरतोन।।

हे कटाकट बन बगीचा जानवर अउ जीव।

अर्थबेवस्था हमर छत्तीसगढ़ के नीव।।


माँ भवानी सर्वमँगला के हरे वरदान।

कोसगाई मातु मड़वा देय धन अउ धान।।

टारथे चैतुरगढ़िन दुख आपदा डर रोग।

एल्युमिनियम संग बिजली के बड़े उद्योग।।


बाँध बांगो हा बँधाये हे गजब के ऊँच।

बेंदरा भलवा कहे पथ छोड़ दुरिहा घूँच।।

साँप हाथी संग मा औषधि हवे भरमार।

मन लुभाये ऊँच झरना अउ नदी के धार।।


वास वनवासी करें संस्कृति अपन पोटार।

हाथ मा धरके धनुष खोजे बहेड़ा चार।।

मीठ बोली कोरवा गूँजय गली बन खोर।

आय बेपारी घलो सुन कोरबा के शोर।।


आय मनखे कोरबा मा सुन  इहाँ के नाम।

देख के बन बाग झरना पाय सुख आराम।।

कारखाना झाड़ झरना कोइला के खान।

देश दुनिया मा चले बड़ कोरबा के नाम।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

रंग रंग के गहना गुठिया-लावणी छंद

 रंग रंग के गहना गुठिया-लावणी छंद


रंग रंग के गहना गुठिया, पहिरें बेटी माई मन।

खुले रूप सजधज बड़ भारी, सँहिरायें मनखें सबझन।।


सूँता सुर्रा सुँतिया सँकरी, साँटी सिंगी अउ हँसली।

चैन चुड़ी सोना चांदी के, आये असली अउ नकली।।

कड़ा कोतरी करण फूल फर, ककनी कटहर अउ करधन।

रंग रंग के गहना गुठिया, पहिरें बेटी माई मन।।


बिधू बुलाक बनुरिया बहुटा, बिछिया बाली अउ बारी।

बेनिफूल बघनक्खा बिछुवा, माला मुँदरी मलदारी।।

चुटकी चुरवा औरीदाना, पटा पाँख पटिया पैजन।

रंग रंग के गहना गुठिया, पहिरें बेटी माई मन।।


तोड़ा तरकी टिकली फुँदरी, रुपिया लगथे बड़ अच्छा।

पटा लवंग फूल नथ लुरकी, झुमका ऐंठी अउ लच्छा।।

ढार नांगमोरी नकबेसर, पैरी बाजे छन छन छन।

रंग रंग के गहना गुठिया, पहिरें बेटी माई मन।।


कटवा कौड़ी फुल्ली पँहुची, खूँटी खिनवा गहुँदाना।

हार हमेल किलिप हर्रइयाँ, माथामोती पिन नाना।।

सोना चाँदी मूंगा मोती, गहना गुठिया आये धन।

रंग रंग के गहना गुठिया, पहिरें बेटी माई मन।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

सरकारी दारू-सरसी छंद

 सरकारी दारू-सरसी छंद


गांव गांव मा दारू भट्ठी, खोलत हे सरकार।

मंद पियइया बाढ़त हावै, बाढ़त हावै रार।।


कोष भरे बर दारू बेंचय, शासन देखव आज।

नशा नाश ए कहि चिल्लावै, आय घलो नइ लाज।।

पीयैं बेंच भांज दरुहा मन, घर बन खेती खार।

गांव गांव में दारू भट्ठी, खोलत हे सरकार।।


दारू गांजा के चक्कर मा, होवत हवै बिगाड़।

मंद पियइया मनखें मन हा, लाहो लेवैं ठाड़।।

कहाँ सुधर पावत हे कोई, खावँय चाहे मार।

गांव गांव में दारू भट्ठी, खोलत हे सरकार।।


नशा करौ झन कहिके शासन, पीटत रहिथे ढोल।

मंद मिलत हावै सरकारी,  खुल जावत हे पोल।।

कथनी करनी मा अंतर हे, काय कहौं मुँह फार।

गांव गांव में दारू भट्ठी, खोलत हे सरकार।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को नगर कोरबा(छग)

बइरी पइरी(गीत)😥😥

 😥😥बइरी पइरी(गीत)😥😥


कइसे बजथस रे पइरी बता।

मोर  पिया  के,मोर पिया के,

अब  नइ मिले  पता......।।


पहिली सुन,छुनछुन तोर,

दँउड़त    आय     पिया।

अब   वोला    देखे   बर,

तरसत  हे  हाय   जिया।

ओतकेच   घुँघरू  हे,

ओतकेच के साज हे।

फेर काबर बइरी तोर,

बदले    आवाज   हे।

फरिहर  मोर मया ल,

झन तैं मता..........।।


का करहूँ राख अब,

पाँव    मा    तोला।

धनी मोर नइ दिखे,

संसो   होगे  मोला।

पहिरे पहिरे तोला,

अब पाँव लगे भारी।

पिया के बिन कते,

सिंगार  करे  नारी।

धनी  के   रहत  ले,

तोर मोर हे नता..।।


देख नइ  सकेस,

मोर सुख पइरी।

बँधे बँधे पाँव म,

होगेस तैं बइरी।

पिया  के  मन  ला,

काबर नइ भावस।

मया  के गीत अब,

काबर नइ गावस।

मैं  दुखयारी,

मोला झन सता--।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बालको(कोरबा)

मर लगगे फोटू विडियो-कुकुभ छंद

 मर लगगे फोटू विडियो-कुकुभ छंद


कई काम ला चुपेचाप रहि, मनखे ला करना चाही।

सबे चीज के फोटू विडियो, सदा मान थोरे पाही।।


सेवा सत सुख गुण गियान ला, देखाये बर नइ लागे।

तोपे ढाँके के उघरत हे, उघरे के हा तोपागे।।

हवै मनुष के आय जातरी, धारेच धार बोहाही।

कई काम ला चुपेचाप रहि, मनखे ला करना चाही।।


बर बिहाव छट्ठी बरही के, समझ आय विडियो फोटू।

मरनी हरनी जलत लाश ला, नइ छोड़त हावय मोटू।।

रील बनाये के चक्कर मा, नवा जमाना बोहाही।

कई काम ला चुपेचाप रहि, मनखे ला करना चाही।।


फोटू विडियो मा हे नत्ता, असल बइठगे हे भट्ठा।

मरगे हावय मान मनुष के, भक्ति भाव होगे ठट्ठा।।

आँखी मूँदे बर लागत हे, अउ का काली देखाही।

कई काम ला चुपेचाप रहि, मनखे ला करना चाही।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

आज के व्यवस्था ऊपर--कुंडलियाँ छंद

 आज के व्यवस्था ऊपर--कुंडलियाँ छंद


नेता मनके घर मिले, बोरा बोरा नोट।

कखरो डर उन ला नहीं, थरथर काँपय छोट।

थरथर काँपय छोट, चुकावैं पाई पाई।

बड़े खाय मिल बाँट, बने सब भाई भाई।

पइसा जेखर तीर, उही ए विश्व विजेता।

कुर्सी ला पोटार, खाय भारत ला नेता।


भारत भुइयाँ मा हमर, गजब मचे हे लूट।

मनखे आम पिसात हे, बड़का ला हे छूट।

बड़का ला हे छूट, करै रोजे मनमानी।

सुरसा कस मुह फार, खाय नित धन दोगानी।

धरम करम सत मान, बड़े मन हावैं बारत।

साथ देय सरकार, बढ़े आघू का भारत।


लंबा कर कानून के, धरे छोट के घेंच।

बात बड़े के होय ता, फँस जाये बड़ पेंच।

फँस जाये बड़ पेंच, करे का कोट कछेरी।

पद पइसा के तीर, लगावैं सबझन फेरी।

मूंदे आँखी कान, कलेचुप बनके खंबा।

देखे बस कानून, जीभ ला करके लंबा।


खीसा मा धनवान के, अफसर नेता नोट।

डरै आम जन देख के, वर्दी करिया कोट।।

वर्दी करिया कोट, सके छोटे मनखे ले।

गले कभू नइ दाल, बड़े मन उल्टा पेले।

नवें रथे दिनरात, छोट बन खम्भा पीसा।

अकड़ अमीर दिखाय, भरे हे कोठी खीसा।


फ्री के झोरे रेवड़ी, नेता अउ जन खास।।

आम आदमी  हे तभे, होवत हवे विकास।

होवत हवे विकास, फकत कुर्सी वाले के।

मर मोटा नइ पाय, आम जन ला सब छेंके।

कई किसम के टैक्स, देय पानी पी पी के।

मनखे आम कमाय, खाय नेता मन फ्री के।


करजा के दम मा बड़े, बड़े बने हे आज।

लोक लाज के डर नही, नइ हे सगा समाज।

नइ हे सगा समाज, कोन देखाये अँगरी।

रंभा रति नचवाय, मंद पी तीरे टँगड़ी।

इँखरे हे सरकार, भले मर जावैं परजा।

सकल सुरत पद देख, बैंक तक देवै करजा।


फर्जी फाइल ला धरे, होगे बड़े फरार।

रोक छोट के साइकिल, गरजै पहरेदार।

गरजै पहरेदार, दिखाके लउठी डंडा।

नाक तरी धनवान, लुटैं सब ला बन पंडा।

पद पा पूँजी जोर, करैं कारज मनमर्जी।

भागे तज के देश, बनाके फाइल फर्जी।


छोट मँझोलन के रहत, बचे हवै ईमान।

गिरथें उठथें रोज के, बड़े बड़े धनवान।

बड़े बड़े धनवान, चलैं पइसा के दम मा।

धर इज्जत ईमान, जिये छोटे मन कम मा।

जादा के ले चाह, नियत नइ देवैं डोलन।

चादर भीतर पाँव, रखैं नित छोट मँझोलन।


माया पइसा मा मिले, पइसा मा रस रास।

इज्जत देखे जाय नइ, पइसा हे यदि पास।

पइसा हे यदि पास, पास वो सब पेपर मा।

रखे जेन मा हाथ, पहुँच जाये वो घर मा।

पइसा मा धूल जाय, चरित अउ बिरबिट काया।

कोन पार पा पाय, जबर पइसा के माया।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)