मनभावन कोरबा-रूपमाला छंद
कोइला हा कोरबा के आय करिया सोन।
नीर हा हसदेव के जिनगी हरे सिरतोन।।
हे कटाकट बन बगीचा जानवर अउ जीव।
अर्थबेवस्था हमर छत्तीसगढ़ के नीव।।
माँ भवानी सर्वमँगला के हरे वरदान।
कोसगाई मातु मड़वा देय धन अउ धान।।
टारथे चैतुरगढ़िन दुख आपदा डर रोग।
एल्युमिनियम संग बिजली के बड़े उद्योग।।
बाँध बांगो हा बँधाये हे गजब के ऊँच।
बेंदरा भलवा कहे पथ छोड़ दुरिहा घूँच।।
साँप हाथी संग मा औषधि हवे भरमार।
मन लुभाये ऊँच झरना अउ नदी के धार।।
वास वनवासी करें संस्कृति अपन पोटार।
हाथ मा धरके धनुष खोजे बहेड़ा चार।।
मीठ बोली कोरवा गूँजय गली बन खोर।
आय बेपारी घलो सुन कोरबा के शोर।।
आय मनखे कोरबा मा सुन इहाँ के नाम।
देख के बन बाग झरना पाय सुख आराम।।
कारखाना झाड़ झरना कोइला के खान।
देश दुनिया मा चले बड़ कोरबा के नाम।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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