📝 किसन्हा आसिक📝
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अगोरा असाड़ के हे
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अगोरा असाड़ के हे
बइला मेछरात हे,असकटात हे नाँगर|
खेती-किसानी बर,ललचात हे जाँगर|
कॉटा-खूटी बिनागे हे|
हमरो परीछा के दिन आगे हे|
बंधा गेहे मुही ,जेन मेड़-पार के हे|
अब तो अगोरा,असाड़ के हे|
खेती-किसानी बर,ललचात हे जाँगर|
कॉटा-खूटी बिनागे हे|
हमरो परीछा के दिन आगे हे|
बंधा गेहे मुही ,जेन मेड़-पार के हे|
अब तो अगोरा,असाड़ के हे|
बीजहा रिसाय हे ,खेत जाय बर|
मन करे मेड़ म,बासी पेज खाय बर|
खेत कोती मेला लगही अब|
बन दुबी कांदी जगही अब|
पीये बर पानी पपीहा कस भूंईया,
मुंहुं फार के हे |
अब तो अगोरा असाड़ के हे|
मन करे मेड़ म,बासी पेज खाय बर|
खेत कोती मेला लगही अब|
बन दुबी कांदी जगही अब|
पीये बर पानी पपीहा कस भूंईया,
मुंहुं फार के हे |
अब तो अगोरा असाड़ के हे|
झंऊहा-टुकनी,रापा-कुदारी|
अगोरत हे अपन पारी |
बड़का बाबू लुकलुकात हे धान जोरे बर|
नान्हे नोनी सुर्रह्त हे टोकान कोड़े बर|
तियार हे खेले बर खेती के जुआ,
जे किसान पऊर सब चीज हार गेहे|
अब तो अगोरा असाड़ं के हे|
अगोरत हे अपन पारी |
बड़का बाबू लुकलुकात हे धान जोरे बर|
नान्हे नोनी सुर्रह्त हे टोकान कोड़े बर|
तियार हे खेले बर खेती के जुआ,
जे किसान पऊर सब चीज हार गेहे|
अब तो अगोरा असाड़ं के हे|
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
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