Thursday 13 July 2017

कान्हा मोला बनादे (सार छंद)

कान्हा मोला बनादे (सार छंद)

पाँख  मयूँरा  मूड़ चढ़ादे,काजर गाल लगादे|
हाथ थमादे बँसुरी दाई,मोला किसन बनादे |

बाँध कमर मा करधन मोरे,बाँध मूड़ मा पागा|
हाथ अरो दे करिया चूड़ा,बाँध गला मा धागा|

चंदन  टीका  माथ लगादे ,ले  दे माला मूँदी|
फूल मोंगरा के गजरा ला ,मोर बाँध दे चूँदी|

हार गला बर लान बनादे,दसमत लाली लाली |
घींव  लेवना  चाँट  चाँट  के,खाहूँ थाली थाली |

दूध दहीं ला पीयत जाहूँ,बंसी बइठ बजाहूँ|
तेंदू  लउड़ी  हाथ थमादे,गाय  चराके आहूँ|

महानदी पैरी जस यमुना, रुख कदम्ब बर पीपर।    
कुल कस सब गाँव गली हे ,ग्वाल बाल हे घर घर |

बाग बगीचा लगे मधूबन,हे जंगल अउ झाड़ी|
बँसुरी  धरे  रेंगहूँ   मैंहा ,भइया  नाँगर  डाँड़ी|

गोप गुवालीन संग खेलहूँ ,मीत मितान बनाहूँ|
संसो  झन  तैं  करबे  दाई,सँझा खेल के आहूँ|

पहिरा  ओढ़ा  करदे  दाई ,किसन बरन तैं मोला|
रही रही के कही सबो झन,कान्हा करिया मोला|

पाँव ददा दाई के परहूँ ,मिलही मोला मेवा |
बइरी मन ला मार भगाहूँ,करहूँ सबके सेवा|

चढ़के रुख कदम्ब मा दाई ,बँसुरी मीठ बजाहूँ |
दया मया ला बाँटत फिरहूँ ,सबके भाग जगाहूँ|

जीतेंद्र वर्मा "खैरझिटिया "
बालको (कोरबा )

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