Friday 14 July 2017

उरमाल

उरमाल(सरसी छंद)

रंग  रंग  के  मिलथे  लेले,पड़डी  पिवँरी  लाल।
हँरियर करिया नीला भुरुवा,हाथ फभे उरमाल।

राखव हरदम अपन खिसा मा,संगी जइसन मान।
अबड़  काम  के चीज हरे जी ,गुन ला तैंहर जान।
दार भात अउ बासी खाके,पोंछव मुँह अउ गाल।
हँरियर करिया नीला भुरुवा,हाथ  फभे  उरमाल।

टेरीकाट मजा नइ आये,सूँती मन ला भाय।
धुर्रा माटी लगे रिथे ते, चिक्कन गा पोंछय।
हवा गरेरा जब चलथे तब,तोपव आँख निकाल।
हँरियर करिया नीला भुरुवा,हाथ  फभे उरमाल।

धरे  हाथ  मा  गोरी  रइथे , मखमल  के  उरमाल।
मटक मटक के रेंगय हाँसत,हिरनी जइसन चाल।
महकय  खुसबू चारो कोती , राखय इत्तर डाल।
हँरियर करिया नीला भुरुवा,हाथ फभे उरमाल।

गाना   गाये   गजा  मूँग  हा,दाबे  बँगला  पान।
खोंचे करिया कपड़ा कनिहा,बढ़गे हावय सान।
हाथ  धरे  उरमाल फिरे जी,हावय बढ़िया हाल।
हँरियर करिया नीला भुरुवा,हाथ फभे उरमाल।

हरे  चेंदरा  छोट  अकन  जी ,फेर आय बड़ काम।
राखव कनिहा खिसा हाथ मा,बिहना हो या साम।
आँखी कान नाक अउ मुँह बर, बनके रहिथे ढाल।
हँरियर  करिया  नीला  भुरुवा ,हाथ फभे उरमाल।

पहिली पंछा हर मनखे के,रहे ओरमे खाँध।
कोनो पागा बाँधे राहय,कोनो कनिहा बाँध।
पंछा  पटको  कोन धरे अब,बदले सबके चाल।
हँरियर करिया नीला भुरुवा,हाथ फभे उरमाल।

जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)

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