Friday 7 July 2017

chhattisgarhi chhand



जयकारी छंद(जनउला)

जड़काला मा जे मन भाय।
गरमी घरी अबड़ रोवाय।
बरसा भर जे फिरे लुकाय।
जल्दी बता चीज का आय।1
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आघू मा बइठे रोवाय।
नइ खाये जी तभो खवाय।
कान धरे अउ अबड़ घुमाय।
काम होय अउ छोड़ भगाय।2
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घर भीतर हे सीटी मार।
बइठे धरे भात अउ दार।
कोनो नइ ओला खिसियाय।
हेर हेर के सब झन खाय।3
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हावय जेखर दू ठन गोड़।
बइठे ददा पालकी मोड़।
गोड़ तिरइयाँ के हे चार।
झटकुन बोलव सोच बिचार।4
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हाँड़ी के सबदिन आधार।
खाये सबझन भूँज बघार।
रंग भूरवा रहिथे गोल।
राजा हरे नाम तैं बोल।5
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जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको

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