लोकगीत-सरसी छंद गीत
लोकगीत आये हम सबके, अंतस के आवाज।
सुआ ददरिया कर्मा पंथी, करे जिया मा राज।।
बोह भोजली बेटी माई, लहर तुरंगा गाँय।
थपड़ी पिट पिट सुआ नाचके, सबके जिया लुभाँय।।
बर बिहाव अउ पंथी जस के, मनभावन अंदाज।
लोकगीत आये हम सबके, अंतस के आवाज।।
दरद भुलाके छेड़ ददरिया, बूता करें किसान।
नाचें कर्मा ताल मा झुमके, लइका संग सियान।।
सवनाही साल्हो अउ डंडा, जतरा धनकुल साज।
लोकगीत आये हम सबके, अंतस के आवाज।।
बाँस पंडवानी दोहा मा, कथा कथन भरमार।
ढोलामारू लोरिक चंदा, फागुन फाग बहार।।
नगमत गौरा खेल गीत मा, झूमें सरी समाज।
लोकगीत आये हम सबके, अंतस के आवाज।।
सोहर लोरी भजन भर्थरी, बाँटे भरभर प्रीत।
जनम बिहाव परब अउ ऋतु के, अबड़ अकन हे गीत।।
गायें गाना छत्तीसगढ़िया, करत अपन सब काज।
लोकगीत आये हम सबके, अंतस के आवाज।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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