हरेली हरियर हरियर
दिखे खेत-खार हरियर।
डोंगरी पहाड़ हरियर ।
मन होगे बरपेली, हरियर -हरियर।
आय हे हरेली, हरियर-हरियर।।
खोंच लेना डारा , निमवा के डेरउठी म।
चढ़ के देख एक घांव, गेड़ी के पंऊठी म।
बड़ मजा आही, मन ह हरसाही।
नहा-खोर हुम दे दे, पानी फरिहर-फरिहर।।।।
आय हे हरेला...........।
हे थारी म चीला, जुरे हवय माई-पिला।
धोके नांगर-जुड़ा। गेड़ी मचे टुरा।
माड़े टँगिया-बसला आरी।
चढ़े पान फूल-सुपारी।
चढ़ा बंदन-चन्दन, फोड़ ठक-ठक नरियर।।।।
आय हे हरेला...........।
हे महुतुर तिहार के, संसो-फिकर ल टार के।
मानव धरती दाई ल, डारा-पाना रुख-राई ल।
थेभा मा किसानी के सरी चीज हर।।
आय हे...........।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
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