Monday, 14 July 2025

हरेली हरियर हरियर

 हरेली हरियर हरियर 


दिखे खेत-खार हरियर।

 डोंगरी पहाड़ हरियर ।

 मन   होगे   बरपेली, हरियर -हरियर।

 आय हे हरेली, हरियर-हरियर।।


 खोंच लेना डारा , निमवा के डेरउठी म। 

चढ़ के देख एक घांव, गेड़ी के पंऊठी  म।

 बड़ मजा आही, मन ह हरसाही।

 नहा-खोर हुम दे दे, पानी फरिहर-फरिहर।।।। 

आय हे हरेला...........।


 हे थारी म चीला, जुरे हवय माई-पिला। 

धोके नांगर-जुड़ा। गेड़ी मचे टुरा। 

माड़े टँगिया-बसला आरी। 

चढ़े पान फूल-सुपारी। 

चढ़ा बंदन-चन्दन, फोड़ ठक-ठक नरियर।।।। 

आय हे हरेला...........। 


हे महुतुर तिहार के, संसो-फिकर ल टार के। 

मानव धरती दाई ल, डारा-पाना रुख-राई ल। 

थेभा मा किसानी के सरी चीज हर।।

 आय हे...........।    


    जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"       

   बाल्को(कोरबा)

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