एक ठन अइसने चलती फिरती मन म आगे
मनखे मनखे सब एक हे,
त मोर अउ पर काबर।
गुजारा कुँदरा म हो सकथे,
त आलीशान घर काबर।
गाँव गंगा मथुरा काँसी,
त भाथे शहर काबर।
बेरा सब हे एक बरोबर,
त सुबे शाम दोपहर काबर।
साँस रोक घलो मर सकथस,
त पीथस जहर काबर।
सुख शांति के तहूँ पुजारी,
त मचथे कहर काबर।
दया मया नइ हे जिवरा म,
त काँपथे थर थर काबर।
सताये नहीं संसो काली के,
त कोठी हे भर भर काबर।
पीये बर घर म पानी नही,
त फोकटे नहर काबर।
बात जावत हे जिया तक,
त बइठाना बहर काबर।
लाँघ सकथस कानून कायदा,
त खोजथस डहर काबर।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
मनखे मनखे सब एक हे,
त मोर अउ पर काबर।
गुजारा कुँदरा म हो सकथे,
त आलीशान घर काबर।
गाँव गंगा मथुरा काँसी,
त भाथे शहर काबर।
बेरा सब हे एक बरोबर,
त सुबे शाम दोपहर काबर।
साँस रोक घलो मर सकथस,
त पीथस जहर काबर।
सुख शांति के तहूँ पुजारी,
त मचथे कहर काबर।
दया मया नइ हे जिवरा म,
त काँपथे थर थर काबर।
सताये नहीं संसो काली के,
त कोठी हे भर भर काबर।
पीये बर घर म पानी नही,
त फोकटे नहर काबर।
बात जावत हे जिया तक,
त बइठाना बहर काबर।
लाँघ सकथस कानून कायदा,
त खोजथस डहर काबर।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
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