......... तोर साथ .........
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तोर साथ , मोर साँस बन जहि।
मिलाबों हाथ,बैरी बर फाँस बन जहि।
के दिन भुकरही,पूँजीवाद के गोल्लर?
बर एकता के डोरी, नाथ बन जहि।
झुँझकुर झाड़ी,ठाड़-ठाड़ काँटा ले झन डर्रा,
हटा मिलजुल के, रेंगे बर पात बन जहि।
झन अँटिया,फोकटे-फोकट पैसा-कउड़ी म।
मिलके नाच - गा, जिनगी रास बन जहि।
झन कलकलान दे, काली कस कोनो ल,
नही ते जीयत मनखे घलो,लास बन जहि।
हाड़ा कस हँव, फेर हाँकत हँव ए जुग ल,
दुरिहाहूँ महिनत ले,त तोर तन मॉस बन जहि।
दू दिन के जिनगी म,दुवा लेके जी जी"जीतेन्द्र"।
बखाना-सरापा एक दिन तोर, नास बन जहि।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
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तोर साथ , मोर साँस बन जहि।
मिलाबों हाथ,बैरी बर फाँस बन जहि।
के दिन भुकरही,पूँजीवाद के गोल्लर?
बर एकता के डोरी, नाथ बन जहि।
झुँझकुर झाड़ी,ठाड़-ठाड़ काँटा ले झन डर्रा,
हटा मिलजुल के, रेंगे बर पात बन जहि।
झन अँटिया,फोकटे-फोकट पैसा-कउड़ी म।
मिलके नाच - गा, जिनगी रास बन जहि।
झन कलकलान दे, काली कस कोनो ल,
नही ते जीयत मनखे घलो,लास बन जहि।
हाड़ा कस हँव, फेर हाँकत हँव ए जुग ल,
दुरिहाहूँ महिनत ले,त तोर तन मॉस बन जहि।
दू दिन के जिनगी म,दुवा लेके जी जी"जीतेन्द्र"।
बखाना-सरापा एक दिन तोर, नास बन जहि।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
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