Monday 8 October 2018

तोर साथ

.........    तोर साथ    .........
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तोर साथ ,   मोर   साँस  बन    जहि।
मिलाबों हाथ,बैरी बर फाँस बन जहि।

के दिन भुकरही,पूँजीवाद के गोल्लर?
बर  एकता  के डोरी, नाथ  बन जहि।

झुँझकुर झाड़ी,ठाड़-ठाड़ काँटा ले झन डर्रा,
हटा  मिलजुल  के, रेंगे  बर  पात  बन जहि।

झन अँटिया,फोकटे-फोकट पैसा-कउड़ी म।
मिलके  नाच - गा, जिनगी  रास  बन  जहि।

झन  कलकलान दे,  काली कस कोनो ल,
नही ते जीयत मनखे घलो,लास बन जहि।

हाड़ा  कस  हँव, फेर  हाँकत  हँव  ए  जुग  ल,
दुरिहाहूँ महिनत ले,त तोर तन मॉस बन जहि।

दू दिन के जिनगी म,दुवा लेके जी जी"जीतेन्द्र"।
बखाना-सरापा  एक दिन तोर, नास  बन  जहि।

              जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
               बालको(कोरबा)
               9981441795

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