Thursday 11 October 2018

कलमकार

@@@कलमकार@@@

कलमकार  हरौं, चाँटुकार  नही।
दरद झेल सकथौं,फेर मार नही।

दुख के दहरा म,अन्तस् ल बोरे हँव।
अपन लहू म,कलम ल चिभोरे हँव।
मैं तो मया मधुबन चाहथौं,
मरुस्थल थार नही-----------

बने बात के गुण,गाथौं घेरी बेरी।
चिटिक नइ सुहाये,ठग-जग हेरा फेरी।
सत अउ श्रद्धा मा,माथ नँवथे बरपेली,
फेर फोकटे दिखावा स्वीकार नही-------

हारे ला ,हौंसला देथौं मँय।
दबे स्वर ला,गला देथौं मँय।
सपना निर्माण के देखथौं,
चाहौं  कभू उजार नही---------

समस्या बर समाधान अँव मैं।
प्रार्थना आरती अजान अँव मैं।
मनखे अँव साधारण मनखे,
कोनो ज्ञानी ध्यानी अवतार नही-------

फोकटे तारीफ,तड़पाथे मोला।
गिरे थके के संसो,सताथे मोला।
जीते बर उदिम करहूँ जीयत ले,
मानौं कभू हार नही-------------

ऊँच नीच भेदभाव पाटथौं।
कलम ले अँजोरी बाँटथौं।
तोड़थौं इरसा द्वेष क्लेश,
फेर मया के तार नही----------

भुखाय बर पसिया,लुकाय बर हँसिया अँव।
महीं कुलीन,महीं घँसिया अँव।
मँय मीठ मधुरस हरौं,
चुरपुर मिर्चा झार नही----------

हवा पानी अगास पाताल।
कहिथौं मँय सबके हाल।
का सजीव का निर्जीव मोर बर,
मँय लासा अँव,हँथियार नही-------

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)

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