देख देवारी,दिनों-दिन दुबरात हे।
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अँगसा-सँगसा म दिया,कोन जलाय?
दूसर संग अब जिया , कोन मिलाय?
कोन हटाय , कांदी - कचरा ल?
कोन पाटे , खोंचका - डबरा ल?
मनखे के मन म,हिजगा पारी हमात हे।
देख देवारी ,दिनों - दिन , दुबरात हे।
पाँच दिन के तिहार बर,
पाख भर पहिली जोरा होय।
छभई - मुँदई , लिपई - पोतई,
साफ-सफई,कचरा कोरा होय।
नाचे नवा-नवा होके,गली - खोर।
सुघराई राहय,ए छोर ले ओ छोर।
फेर मनखे अब ,जांगर चोरात हे।
देख देवारी ,दिनों-दिन दुबरात हे।
तेरस के यम दिया, कोन जलाय हे?
चऊदस म बिहनिया ,कोन नहाय हे?
कोन दाई लक्षमी बर , चँऊक पुरे हे?
कहाँ कढ़ी म,कोमढ़ा-कोचेई बुड़े हे?
छिनमिनात हे,गोबरधन के गोबर ले,
भाई-दूज बर घर म ,कोन राहत हे?
देख देवारी, दिनों- दिन दुबरात हे।
कोठा म घलो कहाँ,गाय बँधाय हे।
सुपा म कोन, सुखधना मड़ाय हे?
कति बाजत हे,सींग-दफड़ा-दमऊ?
कति पहटिया,सोहई धर आय हे?
अँटात हे तेल ,दिया के दिनों - दिन।
सिरात हे मया,जिया के दिनों -दिन।
का करहि फोड़ फटाका ?
मनखे बम कस गोठियात हे।
देख देवारी , दिनों - दिन दुबरात हे।
पहिरे हे नवा- नवा कुर्था,
फेर मन मइलाय हे।
पीये हे मंद - मँऊहा,
मास - मटन खाय हे।
देख तभो पापी ल ,
दाई लक्षमी तीर,
पइसा माँगे ल आय हे।
हुदरइया- कोचकइया मिलथे,
नचइया - गवइया नही।
ददा-दाई ल ,बेटा नइ मिलत हे,
बहिनी ल भईया नही।
कोन जन का चीज धरे हे?
सबो अपने अपन अँटियात हे।
देख देवारी,दिनों-दिन दुबरात हे।
जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
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अँगसा-सँगसा म दिया,कोन जलाय?
दूसर संग अब जिया , कोन मिलाय?
कोन हटाय , कांदी - कचरा ल?
कोन पाटे , खोंचका - डबरा ल?
मनखे के मन म,हिजगा पारी हमात हे।
देख देवारी ,दिनों - दिन , दुबरात हे।
पाँच दिन के तिहार बर,
पाख भर पहिली जोरा होय।
छभई - मुँदई , लिपई - पोतई,
साफ-सफई,कचरा कोरा होय।
नाचे नवा-नवा होके,गली - खोर।
सुघराई राहय,ए छोर ले ओ छोर।
फेर मनखे अब ,जांगर चोरात हे।
देख देवारी ,दिनों-दिन दुबरात हे।
तेरस के यम दिया, कोन जलाय हे?
चऊदस म बिहनिया ,कोन नहाय हे?
कोन दाई लक्षमी बर , चँऊक पुरे हे?
कहाँ कढ़ी म,कोमढ़ा-कोचेई बुड़े हे?
छिनमिनात हे,गोबरधन के गोबर ले,
भाई-दूज बर घर म ,कोन राहत हे?
देख देवारी, दिनों- दिन दुबरात हे।
कोठा म घलो कहाँ,गाय बँधाय हे।
सुपा म कोन, सुखधना मड़ाय हे?
कति बाजत हे,सींग-दफड़ा-दमऊ?
कति पहटिया,सोहई धर आय हे?
अँटात हे तेल ,दिया के दिनों - दिन।
सिरात हे मया,जिया के दिनों -दिन।
का करहि फोड़ फटाका ?
मनखे बम कस गोठियात हे।
देख देवारी , दिनों - दिन दुबरात हे।
पहिरे हे नवा- नवा कुर्था,
फेर मन मइलाय हे।
पीये हे मंद - मँऊहा,
मास - मटन खाय हे।
देख तभो पापी ल ,
दाई लक्षमी तीर,
पइसा माँगे ल आय हे।
हुदरइया- कोचकइया मिलथे,
नचइया - गवइया नही।
ददा-दाई ल ,बेटा नइ मिलत हे,
बहिनी ल भईया नही।
कोन जन का चीज धरे हे?
सबो अपने अपन अँटियात हे।
देख देवारी,दिनों-दिन दुबरात हे।
जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
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