Thursday 4 October 2018

देख देवारी दिनों दिन दुबरात हे

देख देवारी,दिनों-दिन दुबरात हे।
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अँगसा-सँगसा म दिया,कोन  जलाय?
दूसर संग अब  जिया , कोन  मिलाय?
कोन   हटाय  , कांदी  -  कचरा    ल?
कोन   पाटे ,  खोंचका -  डबरा     ल?
मनखे के मन म,हिजगा पारी हमात हे।
देख  देवारी ,दिनों - दिन , दुबरात    हे।

पाँच    दिन    के    तिहार    बर,
पाख   भर   पहिली  जोरा  होय।
छभई  - मुँदई ,   लिपई  -  पोतई,
साफ-सफई,कचरा  कोरा   होय।
नाचे नवा-नवा होके,गली -  खोर।
सुघराई राहय,ए छोर ले ओ छोर।
फेर मनखे अब ,जांगर  चोरात हे।
देख देवारी ,दिनों-दिन  दुबरात हे।

तेरस के यम दिया, कोन  जलाय हे?
चऊदस म बिहनिया ,कोन नहाय हे?
कोन दाई लक्षमी बर , चँऊक पुरे हे?
कहाँ कढ़ी म,कोमढ़ा-कोचेई बुड़े हे?
छिनमिनात हे,गोबरधन के गोबर ले,
भाई-दूज  बर  घर म ,कोन राहत हे?
देख देवारी, दिनों- दिन  दुबरात  हे।

कोठा म घलो कहाँ,गाय बँधाय हे।
सुपा म  कोन, सुखधना मड़ाय हे?
कति बाजत हे,सींग-दफड़ा-दमऊ?
कति  पहटिया,सोहई  धर आय हे?
अँटात हे तेल ,दिया के दिनों - दिन।
सिरात हे मया,जिया के दिनों -दिन।
का     करहि     फोड़     फटाका ?
मनखे   बम   कस   गोठियात    हे।
देख  देवारी , दिनों - दिन दुबरात हे।

पहिरे    हे   नवा- नवा  कुर्था,
फेर      मन   मइलाय      हे।
पीये      हे   मंद  -     मँऊहा,
मास   -   मटन     खाय    हे।
देख      तभो      पापी     ल ,
दाई           लक्षमी         तीर,
पइसा   माँगे    ल   आय  हे।
हुदरइया- कोचकइया  मिलथे,
नचइया    -     गवइया   नही।
ददा-दाई ल  ,बेटा नइ मिलत हे,
बहिनी     ल     भईया      नही।
कोन   जन  का   चीज  धरे  हे?
सबो अपने   अपन अँटियात हे।
देख देवारी,दिनों-दिन दुबरात हे।

    जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
     बालको(कोरबा)
     9981441795

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