🐾🐾नवरात🐾🐾
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माता रानी के आगे , नवरात संगी रे।
दाई के पँवरी म , नंवे हे माथ संगी रे।
बिराजे हे दाई,गाँव गली खोर म,
कुँवार अंजोरी हे, पाख संगी रे।
झांझ - मंजीरा , मादर बजत हे,
जस-सेवा सेऊक हे,गात संगी रे।
बरत हे देवाला,रिगबिग-रिगबिग,
अंगना म लइका,मेछरात संगी रे।
घन्टा अउ संख संग,गुंजत हे आरती,
भरे माड़े हे परसाद म,परात संगी रे।
संख चक्र गदा धरे,बघवा म बइठे,
धरम ध्वजा दाई,फहरात संगी रे।
चल रे "जीतेन्द्र" , भक्ति के रद्दा,
दाई दुर्गा के रहि,मुड़ म हाथ संगी रे।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
****जय माता दी*****
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पी ले माता रानी की,
भक्ति का रस घोलकर।
देखो कितने तर गये,
"जय माता दी"बोलकर।
न पड़ मोह - माया में।
न जड़ ताला काया में।
आधार बना माँ भवानी को।
दिन गुजार उनकी छाया में।
न दिल दुखा किसी का,
बोल बानी तोलकर।
देखो कितने तर गये,
"जय माता दी" बोलकर।
ह्रदय में अपने, बसाले माँ को।
रोते को हँसाकर,हँसाले माँ को।
क्यों फांसते हो छल से किसी को,
अपनी भक्ति में फंसाले माँ को।
तिनका - तिनका तज माया का,
बस माँ की भक्ति का, मोलकर।
देखो कितने तर गये,
"जय माता दी " बोलकर।
सुम्भ -निसुम्भ, चण्ड-मुण्ड,
है महिषासुर घाती माँ।
भैरव लँगुरे द्वार खड़े,
भक्तन काज बनाती माँ।
खाली झोली भरती माँ,
आशीष देती दिल खोलकर।
देखो कितने तर गये,
"जय माता दी " बोलकर।
दर्शन की लगन लागी हो।
मन भक्ति का आदी हो।
जीवन सफल हो जायेगा,
मुँह में "जय माता दी" हो।
माँ की शरण में पड़े जीतेन्द्र,
गुण गाये डोल - डोलकर।
देखो कितने तर गये,
"जय माता दी " बोलकर।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
बहुत पुरानी रचना
🌺🌺🌺जोत-जँवारा🌺🌺🌺
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जगमग जोत जलत हे,बोये हे जँवारा।
जस सेवा आरती मा,गूँजे पारा पारा।
फूल पान नँरियर चढ़े,
हूम-धूप के धुंवा बढ़े।
दाई के दरबार मा,
भगतन भाग गढ़े।
उज्जर हेवे चारो खूंट,
गली-खोर लिपाये हे।
दाई के दरसन बर,
भगत जुरियाये हे।
सूरुज जस दिन मा गाये,रतिहा मा तारा।
जस सेवा आरती मा,गूँजे पारा पारा।
गांव गांव सीतला मा,
जगमग जोत जलत हे।
दुखिया के दुख हा,
छिन भर मा टरत हे।
सुरुर सुरुर पूर्वा चले,
डोले नीम पीपर पाना।
लिमुवा गोभाये सजे हे,
दाई सीतला मा बाना।
घेरी बेरी होवत हे, दाई के जयकारा।
जस सेवा आरती मा,गूँजे पारा पारा।
कोनो बम्लाई पहुँचे।
कोनो सम्लाई पहुँचे।
कोनो चंद्रसेनी पहुँचे,
कोनो महामाई पहुँचे।
माता के मंदिर मा,
भगत मनके रेला हे।
दुख दूर होवत हवे,
सुघ्घर सजे मेला हे।
चइत नवरात बोहाय, भगति के धारा।
जस सेवा आरती मा,गूँजे पारा पारा।
जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
माता रानी आप सबकी मनोकामना पूर्ण करे।
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उल्लाला छंद
बाँटत हेवे मीत ला,
बइठे दाई सीतला।
तरिया लहरा मारथे,
दाई पाँव पखारथे।
निमवा के डारा हले,
घरी घरी पूर्वा चले।
चिरई चिरगुन गात हे,
नवरात्री हा आत हे।
(दोहा)
उड़े ध्वजा बैरंग हा,
बाजे मादर झाँझ।
मेला तरिया पार मा,
होवय बिहना साँझ।
कइसे तन कठवा करौं,
कतिक करौं मन टाँट।
पथरा लादे दुक्ख के,
सुख के जोहँव बॉट।
रोला छंद
महिना चइत कुँवार,जले जी जगमग जोती।
होवत हे जयकार,मात के चारो कोती।
सजे हवे दरबार,पार माता नहकाये।
उतर जाय भवपार,जेन माई जस गाये।
माता के दरबार,जोत देखे बर जाबों।
संगी मिल सब साथ,चलो दर्सन कर आबों।
बइठे ऊपर पहाड़,मात बम्लाई बनके।
करे सबो दुख दूर,हरय संकट तन मन के।
जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
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