दुमदार दोहा-
दाना दानव के असन, कहर झने बरसाय।
दाना दाना खाय बर, कहूँ कोति झन आय।
खेत धरे हावय दाना।
ऐ दाना चल दुरिहाना।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
दुमदार(पुछीवाले) दोहा
चलय बेल बॉटम गजब, तइहा समय म मित्र।
मिलिस रतनपुर के खिचे,अड़बड़ जुन्ना चित्र।।
घुँस जाय दू झन के गोड़।
आज के बातेच ल छोड़।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
दुमदार दोहा
सबों खूँट भक्कम दिखय,आलू प्याज पताल।
तभो बढ़े बड़ भाव हे, पइधें हवँय दलाल।।।
करैं दलाल मन मनमानी।
फूटत नइहें कखरो बानी।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
बाल्को, कोरबा(छग)
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