पकिस्तान ल पाट
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पकिस्तान ल पाट रे संगी,
पकिस्तान ल पाट।
रई आगे हे ओखर भैया,
चुपचाप नइहे खात-----
नानचुन मरहा मेचका होके,
हाथी ल हे दबकात-------
पाकिस्तान ल पाट रे संगी,
पाकिस्तान ल पाट।
चल टुरा ए कहिके,
नइ जोर देत रेहेन।
अब तब सुधरही कहि,
नित छोड़ देत रहेन।
फेर धर सब ताँत डोरी,
नरी ल ओखर फांस।
पकिस्तान ल पाट रे संगी,
पकिस्तान ल पाट।
सुते रिथन त नाचथे।
अउ जागथन त भागथे।
पड़थे थपड़ा चर्ररस ले,
अजरहा कस काँखथे।
गेन हमु ऊंखरो घर,
त ओधात हे कपाट।
पकिस्तान ल पाट रे संगी,
पाकिस्तान ल पाट।
झर जही लगथे,
पाक अब पाकत हे।
बंचाही कहिके ऐखर-ओखर,
मुंहूँ ल ताकत हे।
बोजा जही घुरवा म,
पड़ही जब लात।
पाकिस्तान ल पाट रे संगी,
पाकिस्तान ल पाट।
तोर गोला - बारूद,
त हमर हंसिया-तुतारी।
तोर सव घांव,
त हमर एक्के दारी।
कलकलात हन काली कस,
लहू पिबोन मुड़ी ल काट।
पाकिस्तान ल पाट रे संगी,
पाकिस्तान ल पाट।
अभो घलो समझात हन,
सोज - बाय रहो।
नांव बुझा जही,
जादा झन ले लहो।
भारत के भांडी ल,
भुलाके झन झाँक।
पाकिस्तान ल पाट रे संगी,
पाकिस्तान ल पाट।
आ ददा घर बने बनके,
खवाबोन तोला खीरे-खीर।
इतराबे त मसानगंज बन जही,
सिंधु - झेलम के तीरे -तीर।
सांप के बिला म,
झन डार हॉत।
पाकिस्तान ल पाट रे संगी,
पाकिस्तान ल पाट।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
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