Wednesday, 16 October 2024

भूलागेन@@@@ -------------------------

 @@@@भूलागेन@@@@

----------------------------------------


संडे   मंडे   के     चक्कर   म,

एक्कम      दूज      भूलागेन।


दुनिया ल   भरमात   भरमात,

अपन तन  के  सुध  भूलागेन।


जिनगी  भर लकर-धकर करेन,

फेर  ठंऊका बेरा सुत भूलागेन।


गंजहा-मंदहा के संगत म पड़के,

अमरित कस दही दूध भूलागेन।


तंऊरे नइ जानन तभो देखावा म,

बीच   दहरा   म   कूद  भूलागेन।


अपन  अपन  कहिके  , जपन लगेन,

फेर का अपन ए,तेला खुद भूलागेन?


मनखे     होके    ,  मूरख    बनगेन,

सियान के बताय,बने बूध भूलागेन।


           जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

               बालको(कोरबा)

               9981441795

No comments:

Post a Comment