@@@@भूलागेन@@@@
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संडे मंडे के चक्कर म,
एक्कम दूज भूलागेन।
दुनिया ल भरमात भरमात,
अपन तन के सुध भूलागेन।
जिनगी भर लकर-धकर करेन,
फेर ठंऊका बेरा सुत भूलागेन।
गंजहा-मंदहा के संगत म पड़के,
अमरित कस दही दूध भूलागेन।
तंऊरे नइ जानन तभो देखावा म,
बीच दहरा म कूद भूलागेन।
अपन अपन कहिके , जपन लगेन,
फेर का अपन ए,तेला खुद भूलागेन?
मनखे होके , मूरख बनगेन,
सियान के बताय,बने बूध भूलागेन।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
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