Wednesday, 16 October 2024

नइ जाने

 नइ जाने

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मुड़ म  नचईया मन, पाँव   नइ    जाने।

उजाड़ करईया मन,सहर-गाँव नइ जाने।


फोकटे-फोकट कल्हरत हे,मारे-काटे कस,

जेन  जिनगी   म   कभू  , घाव  नइ जाने।


अइसन   मनखे   के  ,  भाव   बाढ़े   हे,

जेन   तेल  नून के घलो ,भाव नइ जाने।


वो   मनखे    जरत   हे   ,  कायरी    म,

जेन कभू आगी-बुगी के , ताव नइ जाने।


जेन मरखंढा बन,एला-ओला मारत फिरथे,

वो  मनखे  कभू मया के ,  छाँव नइ जाने।


नांव   कमाय  म  ,  उमर    गुजर   जथे,

जेन नांव बोर दे,वो कभू  नांव नइ जाने।


          जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

               बालको(कोरबा)

               9981441795

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