नइ जाने
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मुड़ म नचईया मन, पाँव नइ जाने।
उजाड़ करईया मन,सहर-गाँव नइ जाने।
फोकटे-फोकट कल्हरत हे,मारे-काटे कस,
जेन जिनगी म कभू , घाव नइ जाने।
अइसन मनखे के , भाव बाढ़े हे,
जेन तेल नून के घलो ,भाव नइ जाने।
वो मनखे जरत हे , कायरी म,
जेन कभू आगी-बुगी के , ताव नइ जाने।
जेन मरखंढा बन,एला-ओला मारत फिरथे,
वो मनखे कभू मया के , छाँव नइ जाने।
नांव कमाय म , उमर गुजर जथे,
जेन नांव बोर दे,वो कभू नांव नइ जाने।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
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