Thursday 10 June 2021

कुंडलियाँ छ्न्द-जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया" *दारू तुम्हर दुवार*

 कुंडलियाँ छ्न्द-जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"


*दारू तुम्हर दुवार*


दारू हा सरकार के, घर घर पहुँचय आज।

बिगड़े शिक्षा स्वास्थ हे, आय कहे मा लाज।

आय कहे मा लाज, देख के अइसन सब ला।

जनता हें लाचार, बजावै नेता तबला।

पीयाये बर मंद, हवै सरकार उतारू।

आफत के हे बेर, तभो घर पहुँचय दारू।


पानी बादर देख के, संसो करय किसान।

बंद बैंक बाजार हे, नइहे खातू धान।

नइहे खातू धान, किसानी कइसे होही।

बिन खातू बिन बीज, खेत मा काला बोही।

भटके बहिर किसान, करे बर धरती धानी।

पहुँचावय सरकार, घरों घर दारू पानी।।


जइसे दारू देत हव, तइसे दव सब चीज।

घर मा शिक्षा स्वास्थ सँग, देवव खातू बीज।

देवव खातू बीज, योजना ला सरकारी।

पावै मान किसान, भरे लाँघन के थारी।

रहिथे बड़ दुरिहाय, जरूरी सुविधा कइसे।

काबर नइ पहुँचाव, यहू ला दारू जइसे।



जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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