खुमान जी ल काव्यांजलि (चौपई छंद)
धान कटोरा के दुबराज,करबे तैंहर सब जुग राज।
सुसकत हावय सरी समाज,सुरता तोर लमाके आज।1।
चंदैनी गोदा मुरझाय,संगी साथी मुड़ी ठठाय।
तोर बिना दुच्छा संगीत,लेवस तैं सबके मन जीत।2।
हारमोनियम धरके हाथ,तबला ढोलक बेंजो साथ।
बाँटस मया दया सत मीत,गावस बने सजा के गीत।3।
तोर दिये जम्मो संगीत,हमर राज के बनके रीत।
सुने बिना नइ जिया अघाय,हाय साव तैं कहाँ लुकाय।4।
झुलथस नजर नजर मा मोर,काल बिगाड़े का कुछु तोर।
तोर कभू नइ नाम मिटाय,जिया भीतरी रही लिखाय।5।
तोर पार ला पावै कोन,तैंहर पारस अउ तैं सोन।
मस्तुरिहा सँग जोड़ी तोर,देय धरा मा अमरित घोर।6।
तोर उपर हम सबला नाज,शासन ले हे बड़े समाज।
माटी गोंटी मुरुख सकेल,खेलत हें देखावा खेल।7।
छत्तीसगढ़ के तैं हर शान, सबझन कहे खुमान खुमान।
धन धन धरा ठेकवा धाम, गूँजय गीत सुबे अउ शाम।8।
सबके अन्तस् मा दे घाव,बसे सरग मा दुलरू साव।
सच्चा छत्तीसगढ़िया पूत,शारद मैया के तैं दूत।9।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
खैरझिटी, राजनांदगांव(छग)
9981441795
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