Thursday 10 June 2021

मजबूर मैं मजदूर(रोला छंद)

 मजबूर मैं  मजदूर(रोला छंद)


करहूँ का धन जोड़, मोर तो धन जाँगर ए।

गैंती  रापा  संग , मोर   साथी   नाँगर  ए।

मोर  गढ़े  मीनार, देख   लौ  अमरे  बादर।

मिहीं  धरे  हौं  नेंव, पूछ लौ जाके घर घर।


भुँइयाँ ला मैं कोड़, ओगराथँव पानी जी।

जाँगर  रोजे  पेर,धरा  करथौं  धानी  जी।

बाँधे हवौं समुंद,कुँआ नदियाँ अउ नाला।

बूता  ले दिन  रात,हाथ  उबके  हे छाला।


सच  मा हौं मजबूर,रोज महिनत कर करके।

बिगड़े  हे  तकदीर,ठिकाना  नइ   हे  घर के।

थोरिक सुख आ जाय,बिधाता मोरो आँगन।

महूँ  पेट भर खाँव, पड़े  हावँव बस  लाँघन।


घाम  जाड़  आसाड़, कभू नइ  सुरतावँव मैं।

करथों अड़बड़ काम,फेर फल नइ पावँव मैं।

हावय तन मा जान,छोड़ दँव महिनत कइसे।

धरम  करम  हे  काम,पूजथँव   देबी  जइसे।


जुन्ना कपड़ा ओढ़, ढाँकथों करिया  तन ला।

कभू जागही भाग, मनावत रहिथों मन ला।

रिहिस कटोरा हाथ, देख  ओमा  सोना हे।

भूख  मरँव  दिन  रात, भाग मोरे रोना  हे।


आँधी कहुँती आय, उड़ावै घर हा मोरे।

छीने सुख अउ चैन, बढ़े डर जर हा मोरे।

बइठे बइठे खाँव, महूँ हा चाहौं सबदिन।

फेर चँउर ना दार, बितावौं बस दिन गिनगिन।


जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

बालको(कोरबा)

9981441795

मजदूर दिवस अमर रहे🙏🙏

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