जय हनुमान-कुंडलियाँ छंद
भारी आहे आपदा, सबे हवै हलकान।
हाथ जोड़ सुमिरन करौं, दुरिहावव हनुमान।
दुरिहावव हनुमान, काल बनगे कोरोना।
शहर कहँव का गाँव, उजड़गे कोना कोना।
सब होगे मजबूर, खुशी मा चलगे आरी।
का विकास विज्ञान, सबे बर हे जर भारी।।
चंदा ला लेहन अमर, लेहन सूरज जीत।
कोरोना के मार मा, तभो पड़े हन चीत।
तभो पड़े हन चीत, सिरागे गरब गुमानी।
घर भीतर हन बंद, पियत हन पसिया पानी।
मति गेहे छरियाय, लटकगे गल मा फंदा।
टार रात अँधियार, पवन सुत बन आ चंदा।।
चारो कोती मातगे, हाल होय बेहाल।
सुरसा कस मुँह फार दिस, कोरोना बन काल।
कोरोना बन काल, लिलत हे येला वोला।
अइसन आफत देख, काँप जावत हे चोला।
आजा हे हनुमान, दुखी जन के सुन आरो।
नइ आवत हे काम, नता धन बल गुण चारो।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
कोरबा(छग)
श्री हनुमान जयंती के आप ला सादर बधाई।।।
सपरिवार सदा स्वस्थ सुखी रहव।।।
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