Tuesday, 25 June 2024

बेल-गीतिका छंद

 बेल-गीतिका छंद


बेल खाये तेन जाने स्वाद कइसन लागथे।

संक्रमण कतको किसम के बेल खाये भागथे।।

पीत अउ कफ बढ़ जथे तेला करे कंट्रोल ये।

लू लगे मा काम आथे फर हरे अनमोल ये।।


काम के होथे सबे बर बेल के फर पात हा।

दस्त मा आराम देथे स्वस्थ रहिथे आँत हा।।

पेट किडनी अउ लिवर के रोग ला दुरिहाय ये।

छानथे तन के लहू ला ताकती बढ़हाय ये।।


पात खाली पेट खा नित तन बदन बढिया बना।

गैस स्कर्वी अनपचक बर बेल के पी ले पना।।

जेठ अउ बैसाख मा फर घाम पाके पाकथे।

बेल पाना के गजब के माँग सावन मा रथे।।


घर हरे चिटरा चिरइ बर झाड़ झुँझकुर बेल के।

पी पना तन मन बना हे स्वाद गुरतुर बेल के।।

थायरॉइड कब्ज रोगी बेल ले दुरिहा रहे।

जब गड़े काँटा सुजी कस सब ददा दाई कहे।।


आज हें अंजान लइका बेल बन के गुण पढ़ा।

शिव शिवा कहि कर सुमरनी पात भोले ला चढ़ा।।

घर डिही बन डोंगरी तरिया कुआँ के पार मा।

बेल के बिरवा लगा कोठार बारी खार मा।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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