Tuesday, 25 June 2024

देखे हँव

 देखे हँव


बद  ले  बदतर  हाल   देखे   हँव।

काट के करत देखभाल देखे हँव।


शेर भालू  हाथी  डरके  भागे  बन ले,

गदहा ल ओढ़े बघवा खाल देखे हँव।


काखर जिया म जघा हे पर बर बता,

अपन  मन ल फेकत जाल देखे हँव।


जीयत  जीव  जंतु जरगे  मरगे सरगे,

बूत बैनर टुटे फुटे म बवाल देखे हँव।


सेवा  सत्कार  करे  म  मरे सब सरम,

चाटुकारिता म  कदम ताल देखे हँव।


काखर उप्पर  करके भरोसा चलन,

चारो मुड़ा म पइधे दलाल देखे हँव।


भाजी पाला ले गे गुजरे कुकरी मछरी,

मनखे घलो ल होवत हलाल देखे हँव।


कोन भला बच पाही ए जुग म,

पगपग म बइठे काल देखे हँव।


जात-पात ऊँच-नीच तोर-मोर के खातिर,

मनखे मनखे के आँखी ल लाल देखे हँव।


गियानी के  जम्मो  गियान उरकगे,

अड़हा के मुख म सवाल देखे हँव।


जाँगर   वाले   ल   जरत   बरत   मरत,

बैठागुंर मन ला ल माला माल देखे हँव।


"खैरझिटिया" के  खरागे जम्मो धीरज,

मया पीरा म घलो झोलझाल देखे हँव।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा)

9981441795

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