Tuesday, 25 June 2024

मानसून

 मान अउ सुन रे मानसून-झट आ


""""""""मानसून""""""""


तैं  आबे  त बनही,मोर बात मानसून।

मया करथों मैं तोला,रे घात मानसून।


का पैरा भूँसा अउ,का छेना लकड़ी।

सबो  चीज धरागे, रीता होगे बखरी।

झिपारी  बँधागे अउ, देवागे पलाँदी।

चातर होगे डोली, नइहे काँद काँदी।

तोर नाम रटत रहिथों,दिन रात मानसून।

तैं आबे त बनही,मोर बात मानसून----।


तावा कस तीपे हे,धरती के कोरा।

फुतका उड़त हे, चलत हे बँरोड़ा।

चितियाय पड़े हे,जीव जंतु बिरवा।

कुँवा  तरिया रोये,पानी  हे निरवा।

बड़ पियास मरत हे,डारपात मानसून।

तैं आबे त बनही,मोर बात मानसून।


झउँहा  म  जोरागेहे ,रापा कुदारी।

बीज भात घलो,जोहे अपन बारी।

नाँगर के नास नवा,नवा जोंता डाँड़ी।

तोरे  अगोरा  म , धड़के  बड़  नाड़ी।

लोग लइका मन जोहे,तोर बाट मानसून।

तैं आबे त बनही,मोर बात मानसून......।


छत्ता  मैनकप्पड़ खुमरी बरसाती।

खड़े हे मुहाटी म,धरके मोर नाती।

फाँफा फुरफुन्दी ल,झटकुन उड़ादे।

झिंगुरा  बिंधोल  के  , गीत  सुनादे।

देखा  मँजूरा  ल,नाचत गात मानसून।

तैं  आबे  त बनही,मोर बात मानसून।


धरती के कोरा ल,हरियर करदे।

पानी बरसा झट खुसी तैं भरदे।

थेभा  म  तोरे हे, मोरे जिनगानी।

तैं आबे त गाही,कर्मा मोर बानी।

खाहूँ खेत  म बासी अउ भात मानसून।

झन तरसा तैं आजा लघिनात मानसून।

तैं आबे त बनही,मोर बात मानसून....।


जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा)


Happy birth day gyanu sir

No comments:

Post a Comment