जिंदा राखेल लगही-गीत
अधमी अत्याचारी मन बर, निंदा राखेल लगही।
सत संस्कृति संस्कार ला, जिंदा राखेल लगही।।
बइरी हरहा मन ला, मनाके रखे बर।
मनखे ला मनखे कस, बनाके के रखे बर।।
धरम करम ला बाँध नियम मा, सोच उछिंदा राखेल लगही।
सत संस्कृति संस्कार ला, जिंदा राखेल लगही।।
अवइया पीढ़ी मा, मानवता भरे बर।।
जानवर अउ मनखें मा, भेद करे बर।।
मन मा आस विश्वास राम गोविंदा राखेल लगही।
सत संस्कृति संस्कार ला, जिंदा राखेल लगही।।
नता रिस्ता अउ छोटे बड़े के, लिहाज बर।
देखावा मा चूर उड़त मनखें, रंगबाज बर।।
दंभ दुराचारी बधे बर, किष्किन्धा राखेल लगही।
सत संस्कृति संस्कार ला, जिंदा राखेल लगही।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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