सुंदरी सवैया-करसी
घर खोर गली बन बाग बियापय ब्याकुल घाम घरी जिनगानी।
जल धार झरे तन आग बरे जिनगी ह फँदाय लगे जस घानी।
गरमी हबरे करसी रब ले अब लेव बिसाय रही जुड़ पानी।
जुड़ नीर पियास बुझाय तभे हिरदे ह हितावव होवय धानी।
खैरझिटिया
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