Friday, 18 April 2025

सुंदरी सवैया-करसी

 सुंदरी सवैया-करसी


घर खोर गली बन बाग बियापय ब्याकुल घाम घरी जिनगानी।

जल धार झरे तन आग बरे जिनगी ह फँदाय लगे जस घानी।

गरमी हबरे करसी रब ले अब लेव बिसाय रही जुड़ पानी।

जुड़ नीर पियास बुझाय तभे हिरदे ह हितावव होवय धानी।


खैरझिटिया

No comments:

Post a Comment