अंतरराष्ट्रीय डांस डे म
"""""फकत नचइयाँ बाढ़गे""""
गवइया बजइया कमती होगे,
बढ़िया जिनिस तरी मा माढ़गे।
गांव लगत हे ना शहर लगत हे,
फकत नचइयाँ बाढ़गे-----------।
परी जोक्कड़ मन देख के दंग हें।
नचइया मन मा चढ़े जबर रंग हे।
बिन बाजा के घलो हाथ पांव हलात हें।
आ आ कहिके एला ओला बलात हें।।
नाचते नाचत जाड़,घाम अउ आसाढ़ गे।
गांव लगत हे------------------------।।
टूरा टूरी भउजी भैया ना बहू लगत हे।
एक जघा झूमत सब महू लगत हे।।
चुंहकत हें लाज शरम के फसल ला।
ढेंगा देखावत हे जुन्ना कल ला।।
नाचे संझा बिहना, रति रंभा ला पछाढ़गे।
गांव लगत हे------------------------।।
आज पर के नाच देख, कहाँ मजा आत हे।
नचनइया बनके नाचत हे, तभे मजा पात हे।।
मरनी भर ला छोड़, ताहन सब मा फकत नचई,
सोसल मीडिया मा तो, सबके आ गय हे रई।।
बरतिया कस धक्का मारे, झगड़ा लड़ई ठाढ़गे।
गांव लगत हे-------------------------------।।
जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
डांस अच्छा चीज आय फेर मान मर्यादा अउ मांग म हो।। *उंगली म नाचना* एक हाना रहय, फेर आज तो उंगली घलो नइ लगत हे, बर बिहाव, छट्ठी, बरही, भागवत, रमायन सब म,आज के छोटे बड़े सब दिखावटी नचइया मन जोक्कड़, परी,डांसर मन के रिकार्ड तोड़ देवत हें।।
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