Thursday, 1 August 2024

आज के व्यवस्था ऊपर--कुंडलियाँ छंद

 आज के व्यवस्था ऊपर--कुंडलियाँ छंद


नेता मनके घर मिले, बोरा बोरा नोट।

कखरो डर उन ला नहीं, थरथर काँपय छोट।

थरथर काँपय छोट, चुकावैं पाई पाई।

बड़े खाय मिल बाँट, बने सब भाई भाई।

पइसा जेखर तीर, उही ए विश्व विजेता।

कुर्सी ला पोटार, खाय भारत ला नेता।


भारत भुइयाँ मा हमर, गजब मचे हे लूट।

मनखे आम पिसात हे, बड़का ला हे छूट।

बड़का ला हे छूट, करै रोजे मनमानी।

सुरसा कस मुह फार, खाय नित धन दोगानी।

धरम करम सत मान, बड़े मन हावैं बारत।

साथ देय सरकार, बढ़े आघू का भारत।


लंबा कर कानून के, धरे छोट के घेंच।

बात बड़े के होय ता, फँस जाये बड़ पेंच।

फँस जाये बड़ पेंच, करे का कोट कछेरी।

पद पइसा के तीर, लगावैं सबझन फेरी।

मूंदे आँखी कान, कलेचुप बनके खंबा।

देखे बस कानून, जीभ ला करके लंबा।


खीसा मा धनवान के, अफसर नेता नोट।

डरै आम जन देख के, वर्दी करिया कोट।।

वर्दी करिया कोट, सके छोटे मनखे ले।

गले कभू नइ दाल, बड़े मन उल्टा पेले।

नवें रथे दिनरात, छोट बन खम्भा पीसा।

अकड़ अमीर दिखाय, भरे हे कोठी खीसा।


फ्री के झोरे रेवड़ी, नेता अउ जन खास।।

आम आदमी  हे तभे, होवत हवे विकास।

होवत हवे विकास, फकत कुर्सी वाले के।

मर मोटा नइ पाय, आम जन ला सब छेंके।

कई किसम के टैक्स, देय पानी पी पी के।

मनखे आम कमाय, खाय नेता मन फ्री के।


करजा के दम मा बड़े, बड़े बने हे आज।

लोक लाज के डर नही, नइ हे सगा समाज।

नइ हे सगा समाज, कोन देखाये अँगरी।

रंभा रति नचवाय, मंद पी तीरे टँगड़ी।

इँखरे हे सरकार, भले मर जावैं परजा।

सकल सुरत पद देख, बैंक तक देवै करजा।


फर्जी फाइल ला धरे, होगे बड़े फरार।

रोक छोट के साइकिल, गरजै पहरेदार।

गरजै पहरेदार, दिखाके लउठी डंडा।

नाक तरी धनवान, लुटैं सब ला बन पंडा।

पद पा पूँजी जोर, करैं कारज मनमर्जी।

भागे तज के देश, बनाके फाइल फर्जी।


छोट मँझोलन के रहत, बचे हवै ईमान।

गिरथें उठथें रोज के, बड़े बड़े धनवान।

बड़े बड़े धनवान, चलैं पइसा के दम मा।

धर इज्जत ईमान, जिये छोटे मन कम मा।

जादा के ले चाह, नियत नइ देवैं डोलन।

चादर भीतर पाँव, रखैं नित छोट मँझोलन।


माया पइसा मा मिले, पइसा मा रस रास।

इज्जत देखे जाय नइ, पइसा हे यदि पास।

पइसा हे यदि पास, पास वो सब पेपर मा।

रखे जेन मा हाथ, पहुँच जाये वो घर मा।

पइसा मा धूल जाय, चरित अउ बिरबिट काया।

कोन पार पा पाय, जबर पइसा के माया।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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