अदरक-कुंडलियाँ छंद
दिखथे अदरक टेंडगा, तभो बढ़े हे भाव।
रंग रूप मा का हवय, गुण के होय हियाव।।
गुण के होय हियाव, गुणी ला कोन भुलाथे।
खोज काम के चीज, जमाना पूछत आथे।।
का बड़का का छोट, नाम बेरा हा लिखथे।
हे बरसा के बेर, रुलावत अदरक दिखथें।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को कोरबा(छग)
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