महँगाई के बड़का कारण-ताटंक छंद
महँगाई के बड़का कारण, हव काला बाजारी हे।
आज टमाटर दार मशाला, कल कुछु अउ के बारी हे।।
जाँगर टोड़ कमइया मनके, आजो कहाँ पुछारी हे।
माटी पथरा सोन बनावय, पारस कस बैपारी हे।।
बैपारी कर तोप तमंचा, दलबल कोट कटारी हे।
बेबस अउ मजबूर मनुष के, भागे मा लाचारी हे।।
नियम धियम हड़पे झड़के के, देख बने सरकारी हे।
आस लगा बइठे हे तेखर, बंजर खेती बारी हे।।
जान जरूरतमंद गँवाये, भूखा मरत भिखारी हे।
तेल नून अउ चँउर दार बर, माते मारा मारी हे।।
नेता फ्री के खाय रेवड़ी, छूट लूट नित जारी हे।
आम मनुष पुदगौनी मा गय, बड़का बने मदारी हे।।
जप्ती के सब माल खजाना, पढ़े सुने मा भारी हे।
काम देश खातिर नइ आये, चोर पुलिस मा यारी हे।।
आज जमाना जात कती हे, ना खेती मउहारी हे।
स्वारथ मा अँधरा हें सबझन, बइठे बने जुआरी हे।।
सुख दुख दोनो नइ बेचाये, तभो मनुष बाजारी हे।
इरसा द्वेष भरे हे मन मा, इंसानियत फरारी हे।।
जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
भारत के टमाटर और पाकिस्तान के टमाटर में क्या अंतर है
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