📝किसन्हा आशिक.....
"कोनो लिखो न गा पाती"
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मोर छाती सही भूंइया,
अब दर्रा हनत हे |
बिन पानी बादर,
न बियासी बनत हे |
अईलात हे सपना हमर,
गिरे पाना बरोबर,
तागा कस तन,
बैरी घाम म तनत हे |
भभकत हे जिवरा,
बिन तेल कस बाती.........|
बादर ल बरसाय बर,
कोनो लिखो न गा पाती....|
जीतेन्द्र वर्मा
Khairjhiti
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