Friday, 16 August 2024

करू भात अउ करू पानी

 करू भात अउ करू पानी


दीदी के करू भात, जीजा के करू पानी।

का कहँव संगी, परब तीजा के कहानी।।


एक ला जुन्ना सहेली मिलगे,एक ला जुन्ना संगी।

एक पीटत हे मुड़ी, एक फेरत हे मुड़ मा कंगी।।

एक हाँसे हाहा हाहा, एक के नइ फुटत हे जुबानी।

का कहँव संगी, तीजा तिहार के कहानी।।


दीदी मन सम्हरे हे, जीजा मन के कुकुर गत हें।

दीदी मन बिंदास सुतत हें, जीजा मन जागत हें।।

जय जय गूँजे एक कोती, एक कोती राजा जानी।

का कहँव संगी, तीजा तिहार के कहानी।।


राँध के जीजा, नइ खा सकत हे कँवरा।

पड़े हे कपड़ा लत्ता, पड़े हे बर्तन भँवरा।

चेहरा मा चमक नइहे,रद खद हे छत छानी।

का कहँव संगी, तीजा तिहार के कहानी।।


उती तीजा के बिहान दिन,सरि सरि लुगरा।

अउ ए कोती जीजा हा, पड़े हवय उघरा।।

दीदी फोन उठात नइहे, हे हलाकान जिनगानी।

का कहँव संगी, तीजा तिहार के कहानी।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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