हथकरघा के बेरा-सार छंद
सबे काम ला झट टारे बर, हे मशीन सब डेरा।
अइसन मा अब काय लहुटही, हथकरघा के बेरा।।
मुसर बाहना ढेंकी जाँता, सिललोढ़ा खलबत्ता।
आरा रेंदा गिरमिट सुंबा, हाथ भुलागे नत्ता।।
कोन गाँथथे माची खटिया, कोन आँटथे ढेरा।
अइसन मा अब काय लहुटही, हथकरघा के बेरा।।
अपन हाथ मा सूत कात के, पहिरिन गाँधी खादी।
मिला हाथ ले हाथ सुराजी, लड़भिड़ लिन आजादी।।
सबें हाथ अब ठलहा होगे, होवै तेरा मेरा।
अइसन मा अब काय लहुटही, हथकरघा के बेरा।।
अपन हाथ हे जगन्नाथ कहि, खुदे करैं सब बूता।
उहू दुसर के अब मुँह ताकें, पहिरे चश्मा जूता।।
नवा नवा तकनीक हबरगे, बदलै बसन बसेरा।
अइसन मा अब काय लहुटही, हथकरघा के बेरा।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के आप सबो ला सादर बधाई
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