सवैया
धर्म ध्वजा धरनी धँसगे झटले अब आ करिया फहराना।
खोर गली म भरे हे दुशासन द्रौपति के अब लाज बचाना।
शासक संग समाज सबे ल सुशासन के सत पाठ पढ़ाना।
झाड़ कदम्ब जमे कटगे यमुना मतगे मनमोहन आना।
खैरझिटिया
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