Wednesday, 25 September 2024

बेटी बर(गीत) -------------------

 बेटी बर(गीत)

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बेटी    बर , बबा  काबर?

गांव-गली मा, रहिथे डर।

अइसन देखे सुनेल मिलथे,

सबो जघा, सबो घर-----।


अकेल्ला वो रेंग नइ पाये।

हँसी -ठिठोली ले दुरिहाये।

नइ कर सकय,मन के काँही।

आखिर मा,बासी पेज खाँही।

घर - दुवार  के  भार, मूड़   मा।

बखरी-बारी,खेत-खार मूड़ मा।

लउहा-लउहा;  बुता  करे तभो,

नइ थके उंखर गतर-----------।

बेटी    बर ,    बबा      काबर?

गांव - गली   मा, रहिथे    डर।


घूंघट कहिदेस,लाज ला तंय।

देख बता अब,आज ला तंय?

का गत हे ,का हाल हवे?

अपनेच घलो,काल हवे।

कोन लिही,सुध ला ओखर?

भाई   घुमे   बनके,  लोफर।

अपनेच घर मान नइ  पाही,

त कइसे ,भाही पर--------।

बेटी    बर ,  बबा     काबर?

गांव - गली  मा, रहिथे  डर।


कइसन कइसन,रीत बनाये?

बस   पीरा  के,गीत  गवाये।

पिंजरा मा  तंय, धांध दिये।

डेना, सपना ला बाँध दिये।

मान मिलिस का,आज ले देख?

बाँचिस कहाँ बैरी,बाज ले देख।

रोवत  हे  भीतरे - भीतर,

तभो  हँसी  हे  अधर---।

बेटी    बर , बबा  काबर?

गांव-गली मा, रहिथे डर।


जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

बालको(कोरबा)

9981441795


अतंराष्ट्रीय बेटी दिवस के सादर बधाई

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