Wednesday, 25 September 2024

लिखे हों📝🖋 ---------------------

 📝🖋लिखे हों📝🖋

---------------------------------

सत   के   रंग   म,रच लिखे हों।

अतियाचार     ले,बच लिखे हों।

बात सोला आना,सच लिखे हों।

तिहीं बता  ,का गलत लिखे हों?


अपनेच   अपन   बर,  करत    हस    जोरा।

छानी - परवा     नोहे,   भुंजे     के     होरा।

खाय के ल  जानथस,कमाय   के   ल  नही।

बिगाड़े के ल जानथस,बनाय  के    ल  नही।

धर्मी बर धाम,अधर्मी के कुकुरगत लिखे हों।

तिहीं    बता    ,   का       गलत    लिखे हो?


बोल ओतकी, जतका   कर सकथस।

लड़ंता हस,का बुरई ले लड़ सकथस?

देखावा   के    डेना ,     टूट    जाही।

मरे म सब    जिनिस,     छूट   जाही।

हाय    -    हाय,           झन      कर।

धरम  - करमबअउ ईमान    ल   धर।

सोज रद्दा म चल,बुरई ले बच लिखे हों।

तिही   बता   ,  का   गलत   लिखे  हों?


बने बर बने लिखे हों  , गिनहा बर गिनहा।

मनखे अस मया बगरा,छोड़ अपन चिन्हा।

खुद के खने खोंचका म,  तिही    बोजाबे।

दूसर बर बारबे आगी,त   तिहीं     भुंजाबे।

स्वारथ  के  कलजुग  मा, मन  भीतर  भरे,

ईरसा  - दुवेस    छल - कपट   लिखे   हों।

तिहीं    बता      , का    गलत   लिखे हों?


मारकाट ऊँच-नीच तोर-मोर,के बिजहा नंदाये।

दया-मया   सेवा-सतकार,  मनखे  म   समाये।

थूके  -  थूक  म ,  बरा  -  भजिया  नइ    चूरे।

दूसर के   नंगाय  जिनिस ,   कभू   नइ   पुरे।

अधमी ल   ले   जा  , धर्मी   ल रख लिखे हों।

तिहीं    बता  ,  का     गलत     लिखे      हों?

                जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

                     बालको(कोरबा)

                     9981441795


फोटो-राजभाषा काव्य समारोह,आयोजक-- उद्गार काव्य समिति

No comments:

Post a Comment