विश्व हिरदय दिवस म
हिरदय- सार छंद
धड़कत हावय हिरदय जब तक, तब तक साँस चलत हे।
हिरदे हावय मानुष भीतर, दुनिया तभे पलत हे।।
जे हिरदय ए कठवा पथरा, दया मया नइ जाने।
हिरदय मोम बरोबर होथे, देय इही पहिचाने।।
बरफ बरोबर गलत गलत हे, सँच सत फुलत फलत हे।
धड़कत हावय हिरदय जब तक, तब तक साँस चलत हे।।
तन के ए आधार इही हा, हाव भाव के दाता।
हिरदय हावय तब तक हावय, जनम जनम जग नाता।।
ईर्ष्या द्वेष हवे जे हिरदय, वो तन भभक जलत हे।
धड़कत हावय हिरदय जब तक, तब तक साँस चलत हे।।
खाना पीना सोना गाना, काम धाम सब चंगा।
स्वस्थ रथे वो हिरदय सब दिन, बहिथे बनके गंगा।
हिरदय रो ना हाँस सकत हे, स्वारथ लोभ छलत हे।
धड़कत हावय हिरदय जब तक, तब तक साँस चलत हे।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
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