Wednesday, 25 September 2024

पितर- सरसी छंद

 पितर- सरसी छंद


पुरखा मन के सुरता कर गुण, गावँव बारम्बार।

ये धरती मा जनम लेय के, करिन हमर बढ़वार।


खेत खार बन बाट बनाइन, बसा मया के गाँव।

जतिन करिन पानी पुरवा के, सुन चिरई के चाँव।

जीव जानवर पेड़ पात सँग, रखिन जोड़ के तार।।

पुरखा मन के सुरता कर गुण, गावँव बारम्बार।


रीत नीत अउ धरम करम के, सदा पढ़ाइन पाठ।

अपन भरे बर कोठी काठा, बनिन कभू नइ काठ।

जियत मरत नइ छोड़िन हें सत,नेत नियम संस्कार।

पुरखा मन के सुरता कर गुण, गावँव बारम्बार।।


डिही डोंगरी मंदिर मंतर, सब उँकरे ए दान।

गाँव गुड़ी के मान बढ़ाइन, अपन सबे ला मान।

एक अकेल्ला रिहिन कभू नइ,दिखिन सबे दिन चार।

पुरखा मन के सुरता कर गुण, गावँव बारम्बार।


उँखरे कोड़े तरिया बवली, जुड़ बर पीपर छाँव।

जब तक ये धरती हा रइही, चलही उंखर नाँव।

गुण गियान के गुँड़ड़ी गढ़के, चलिन बोह सब भार।

पुरखा मन के सुरता कर गुण, गावँव बारम्बार।।


पाप पुण्य पद प्रीत रीत के, करिन पितर निर्माण।

स्वारथ खातिर आज हमन हन, धरे तीर अउ बाण।

देख आज के गत बुढ़वा बर, बइठे हे थक हार।

पुरखा मन के सुरता कर गुण, गावँव बारम्बार।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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पितर पाख म

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पितर      आय      हे ,

पितर       पाख     म।

महर-महर ममहावत हे,

बरा-सोंहारी  नाक  म।


माड़े     हे     मुहाटी      म,

मुखारी बोरे लोटा म  पानी।

चंऊक पुराय भूतवा    कस,

चढ़े हे   फूल  आनी - बानी।

तोरई पाना म उरिद दार धरे,

ददा           गेहे       तरिया।

दाई   साने      हे      पिसान,

दार   धोय हे चरिहा - चरिहा।

टुरी - टुरा  बइठे  चूल्हा   तीर,

तेलई रोटी   के    ताक    म।

पितर आय हे....................।


झेंझरी   -    झेंझरी       रोटी ,

बनके           तियार         हे।

पारा  -   परोसी    सगा-सोदर,

सब     बर       तिहार       हे।

हम  -   धूप      के       गुंगवा,

घर        भर      गुंगवात     हे।

कुकुर-कँऊवा नरिया-नरिया के,

किंजर -  किंजर   के  खावत  हे।

दूधे     दूध   के  तसमई  बने हे,

बरबट्टी -  तोरई   हे    साग   म।

पितर आय हे......................।


ये धरती के पितर मन धुरी हें।

उंखर आदर सत्कार जरूरी हे।।

मया पिरित बढ़थे, पितर के बहाना।

सगा सोदर पारा परोसी, खाथें मिल खाना।

ददा दाई पार परिवार ले दुरिहा,

भागे हें जेन शहर मा।

उही मन प्रवचन,

झाड़त दिखथें पितर मा।

मनखें सँग खीर बरा सोंहारी,

रथे कुकुर कँउवा के भाग मा।


    जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

      बालको(कोरबा)

      9981441795

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