जीभ लमाये के का जरूरत
जीभ लमाये के का जरूरत, हे कलम जब हाथ मा।
शोभा देय नही चम्मच हा, कलम दवात साथ मा।।
मंच माइक सम्मान के खातिर, कलमकार नइ भागे।
कला गला के दम मा छाये, उही शारद पूत लागे।।
शब्द जोड़ के फूल बनालव, काँटा वाले पाथ मा।
जीभ लमाये के का जरूरत, हे कलम जब हाथ मा।
ताकत हौ मुँह कखरो काबर, जानव कलम के ताकत।
ये दुनिया के रथ ला आजो, साहित्य हावय हाँकत।।
मुड़ी उँचाके कलम चलावव, झन अरझो गेरवा नाथ मा।
जीभ लमाये के का जरूरत, हे कलम जब हाथ मा।
सूर कबीरा तुलसी जायसी, आजो अजर अमर हे।
जीभ लमाके नाम कमइया, नइ बाँचे स्वार्थ समर हे।।
सेवा मान के साहित गढ़लव, सजही ताज माथ मा।
जीभ लमाये के का जरूरत, हे कलम जब हाथ मा।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
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