📝किसन्हा आशिक.............
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अब का पोरा-जांता जी ?
अब का पोरा जांता जी ?
ठाढे़ अंकाल के मारे,
होगेव चउदा बांटा जी |
सपना ल दर-दर जांता म,
कब तक मन ल बांधव ?
चांउर-दार पिसान नइहे,
का कलेवा रांधव ?
भभकत मंहगाई म,
अलथी कलथी भुंजात हौ |
भात- बासी ल तको,
चटनी कस खात हौ |
उबके हे लोर तन भर,
पड़े हे गाल म चांटा जी....|
अब का पोरा जांता जी....?
सिरतोन के बईला भूख मरे,
का जिनिस खावाहूं |
माटी के बईला बनाके,
अब का करम ठठाहूं |
किसान अउ गाय-गरूवा,
जघा-जघा कुटात हे |
सहर-नगर म कहॉ,
कोनो पोरा मनात हे ?
कइसे नाचे नंदियॉ बईला,
गड़गे गोड़ म कांटा जी.......|
अब का पोरा जांता जी.......|
गांव के गरीब किसन्हा,
कब तक चिमोटे रिही |
जुग अउ समाज के संग,
बिधाता के जुलूम होते रिही|
अइसन जमाना म,
पोरा-जांता नंदा झिन जाय |
बईला के जघा म किसन्हा,
फंदा झिन जाय |
हिरदे छर्री-दर्री होगे,
कोन लगाही टांका जी......|
अब का पोरा-जांता जी....?
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा) छ.ग.
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