............छुट्टी के दिन...........
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बबा संग ढेरा , आँटत रेहेन।
ददा संग दॅऊरी , हाँकत रेहेन।
डोहारत रेहेन , दाई संग पानी।
कका संग छात रेहेन,खपरा-छानी।
ओइलात रेहेन कोठा म,
गरुवा-छेरी ल गिन-गिन।
छुट्टी के दिन,छुट्टी के दिन।
लिपत रेहेन , अंगना दुवारी।
टोरत रेहेन , बम्हरी मुखारी।
खेत म करन , निंदई - कोड़ई।
बखरी म टोरन,रमकलिया तोरई।
पढ़ई के संगे-संग बुता,
बड़ मजा आय गऊकिन।
छुट्टी के दिन,छुट्टी के दिन।
बार के चूल्हा , भात दार राँधन।
खेत म कूद-कूद,मेड़-पार बाँधन।
संगी संगवारी संग,मनभर खेलन।
खेवन - खेवन, मही-बासी झेलन।
रमायेण रामसत्ता-रामधुनी म,
हो जात रेहेन लिन ।
छुट्टी के दिन,छुट्टी के दिन।
सँइकिल पनही चप्पल ल,
पोछ - पाँछ के रखन।
कका दाई संग बजार म,
मुर्रा - लाड़ू चखन।
कुर्था कपड़ा ड्रेस काँच काँच उजरान।
बइला-भँइसा धोके,कूद-कूद नहान।
धनकुट्टी म धान कुटान,
दार-चांउर सिधोन गोंटी बिन।
छुट्टी के दिन , छुट्टी के दिन।
ममा घर जाय बर,संग धरन।
भांटो ल पइसा बर,तंग करन।
तिहार बार म , नाचन गान।
गाँव भर के , आसीस पान।
बांवत, बियासी, भारा,
बुता करन कई ठिंन।
छुट्टी के दिन,छुट्टी के दिन।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
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